भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे गुरदासपुर के आखिरी 7 गांवों में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई है. रावी और उज नदियों का पानी इन गांवों में इस कदर घुसा कि इनका बाकी दुनिया से संपर्क टूट गया. सड़कें डूब चुकी हैं, घरों में मिट्टी का ढेर है, और खेत-खलिहान बर्बाद हो चुके हैं. इन गांवों तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता अब NDRF की बोटें हैं, जो दिन-रात राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं.

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हालात अभी भी नाजुक

पिछले कई दिनों से इन गांवों में बुरा हाल है. पानी का स्तर भले ही अब कुछ कम हुआ हो, लेकिन स्थिति अभी भी खराब है. गांव वालों का कहना है कि उनके घरों से पानी तो निकल गया, लेकिन मिट्टी और कीचड़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. फसलें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं, जिससे किसानों की कमर टूट गई है.

एक स्थानीय किसान ने बताया, "हमारी जिंदगी खेती पर टिकी थी, अब सब खत्म हो गया. न घर बचा, न खेत. अब बस इंतजार है कि कब हालात सुधरें."

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NDRF का रेस्क्यू ऑपरेशन

NDRF के डिप्टी कमांडेंट दीपक सिंह ने बताया कि 26-27 अगस्त से बचाव कार्य शुरू किए गए थे. अब तक 1500 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है. रस्सियों, ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और बोटों के जरिए लोगों को बाढ़ के पानी से बाहर निकाला गया.

दीपक सिंह ने कहा, "रावी और उज नदियों का पानी हिमाचल से आकर यहां मिलता है, जिससे बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया. सात गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया था. हमने न सिर्फ लोगों को निकाला, बल्कि राहत सामग्री भी पहुंचाई. मेडिकल कैंप लगाए गए और जिला प्रशासन के साथ मिलकर हर जरूरी कदम उठाया जा रहा है."

बोट से राहत, फिर भी चुनौतियां

NDRF की टीमें दिन-रात बोटों के जरिए इन गांवों में खाने-पीने का सामान, दवाइयां और दूसरी जरूरी चीजें पहुंचा रही हैं. लेकिन चुनौतियां कम नहीं हैं. गांवों तक पहुंचने के रास्ते पूरी तरह बंद हैं. बोटें ही एकमात्र सहारा हैं, और कई जगह पानी इतना गहरा है कि ऑपरेशन में खतरा बना रहता है. फिर भी, NDRF, सेना, BSF और स्थानीय प्रशासन मिलकर हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

बता दें हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के कारण रावी और उज नदियों में पानी का स्तर खतरनाक ढंग से बढ़ गया. पंजाब के कई डैम, जैसे पोंग, रंजीत सागर और भाखड़ा, से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया, जिसने हालात को और बिगाड़ दिया.

NDRF ने बाढ़ के मौसम से पहले ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी थीं. दीपक सिंह ने कहा, "हम हर साल बाढ़ से पहले तैयार रहते हैं. लेकिन इस बार बाढ़ का स्तर 1988 के बाद सबसे खराब है."