Haryana News: हरियाणा की नूंह में हिंसा के बाद प्रशासन की तरफ से की गई बुलडोजर की कार्रवाई पर अब चीफ जस्टिस पर आधारित बेंच मामले की सुनवाई करेगी. जस्टिस अरुण पल्ली पर आधारित बेंच ने खुद को मामले से अलग करते हुए सुनवाई से इंकार किया है. शुक्रवार को हाईकोर्ट में इस केस को लेकर सुनवाई की गई थी. आपको बता दें कि 31 जुलाई को नूंह में हुई हिंसा की वजह से 6 लोगों की मौत हो गई. जिसके बाद 2 अगस्त से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और नूंह प्रशासन की तरफ से अवैध कब्जों को गिराने की कार्रवाई की गई. 


हजारों की संख्या में हटाए गए निर्माण
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और नूंह प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई के दौरान हजारों की संख्या में कच्चे निर्माण को हटा दिया गया और पक्के निर्माण भी गिराए गए. जाति विशेष के लोगों को टारगेट करने की कार्रवाई मानते हाईकोर्ट ने सू-मोटो नोटिस लिया. जस्टिस जी.एस. संधावालिया की बेंच ने 7 अगस्त को मामले पर संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया था कि तुरन्त नूंह में अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई बंद की जाए. 


अब चीफ जस्टिस की बेंच करेंगी मामले की सुनवाई 
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण पल्ली व जगमोहन बंसल पर आधारित डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई से इनकार कर दिया, अरुण पल्ली की तरफ से कहा गया कि मामले को लेकर हाईकोर्ट द्वारा स्वंय संज्ञान लिया गया था. जिसपर अब चीफ जस्टिस की बेंच ही सुनवाई कर सकती है. हाईकोर्ट नियमों के अनुसार जनहित याचिका पर केवल चीफ जस्टिस ही सुनवाई कर सकते है. फिलहाल मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार तक स्थगित कर दी गई है. 


सरकार ने कोर्ट से मांगा समय
हरियाणा सरकार की तरफ से इस मामले में कोर्ट को जवाब देने के लिए समय मांगा गया था. कहा गया था कि वो नियमों के खिलाफ जाकर कार्रवाई नहीं कर रही है. हरियाणा सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सब्रवाल ने हाईकोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि नूंह और गुरुग्राम में अवैध निर्माण गिराने पर कोई रोक नहीं है. प्रशासन ने नियमों के अनुसार अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई की है.


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