Haryana News:  सरपंचों और हरियाणा सरकार के बीच लंबे समय से चल रही तकरार के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बड़ा फैसला किया है. जिसको लेकर अब सरपंचों और सरकार के बीच कुछ सुलह के आसार नजर आ रहे है. सीएम खट्टर के फैसले के अनुसार ग्राम पंचायतों में ई-टेंडरिंग अभी भी जारी रहेगा. वहीं सरपंचों के काम की लिमिट अब पांच लाख रुपए कर दी गई है. इसके अलावा सरपंचों को मिलने वाले मायदेय में भी बढ़ोतरी की गई है. उनका मानदेय अब तीन हजार से बढ़ाकर पांच हजार रुपए करने का फैसला किया गया है. 


ई-टेंडरिंग को लेकर सरकार का अंतिम फैसला 
ई-टेंडरिंग को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि ई-टेंडरिंग को लेकर उनकी सरकार ने अंतिम फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में जहां राइट टू रीकॉल जारी रहेगा. वहीं ई-टेंडरिंग भी जारी रहेगा. लेकिन इसमें कोई कठिनाई आई तो उसे दूर किया जाएगा. सीएम ने कहा कि सरकार की तरफ से प्रावधान बनाया गया है कि अगर विकास कार्य हरियाणा शेड्यूल रेट और डीसी रेट के अनुसार किए जाते है अगर कोई सरपंच डीसी रेट से काम करवाना चाहेगा तो उसकी सूचना खंड एवं विकास अधिकारी के कार्यकाल के बाहर चस्पा करनी होगी. माना जा रहा है सरपंचों को साधने के लिए सरकार ने बड़ा दाव खेला है. सरपंचों की 16 मांगों में से 6 को मान लिया गया है.  


सरपंचों और अधिकारियों की जिम्मेदारी की गई तय
सरकार के तरफ से कहा गया है कि बिजली बिलों पर जो टैक्स आए गा उसका दो प्रतिशत ग्राम पंचायतों को दिया जाएगा. एक अप्रैल तक जो पिछला बकाया है वो भी ग्राम पंचायतों को दे दिया जाएगा. इसके अलावा स्टांप ड्यूटी में जहां एक प्रतिशत की राशि दी जाएगी तो वही भविष्य में हर महीने फिर ऐसे ही भुगतान किया जाएगा. गांवों में होने वाले विकास कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जहां तकनीकी कर्मचारी जिम्मेदार होंगे, वहीं कोटेशन के माध्यम से हो रहे विकास कार्यों के लिए सरपंच जिम्मेदार होंगे.


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