फाजिल्का में भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक व्यक्ति को संदिग्ध परिस्थितियों में पकड़ा. जांच के बाद पता चला कि यह व्यक्ति पिछले दो साल से लापता था और उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. बीएसएफ ने उसे उसके परिवार को सौंप दिया. बीएसएफ ने अपनी शुरुआती जांच में पाया कि व्यक्ति का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था और वह गलती से सीमावर्ती इलाके में आ गया था.

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बीएसएफ अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश में उसके परिवार से संपर्क किया, जिसके बाद परिवार के सदस्य फाजिल्का सदर थाना पहुंचे. उक्त व्यक्ति को लेने पहुंचे उसके बेटे ने बताया कि उन्होंने प्रदेश भर में पिता के गुमशुदगी तलाश के पोस्टर तक चिपकाए. लेकिन समय बीत जाने के बाद उन्होंने उम्मीद खो दी थी कि उसे उसके पिता कभी वापिस मिलेंगे. आज बीएसएफ ने उसे उसके पिता तक पहुंचा दिया.

परिवार की राहत और पहचान

लापता व्यक्ति की पहचान आजमगढ़, उत्तर प्रदेश निवासी अमर यादव के रूप में हुई. उनके बेटे विशाल यादव ने बताया कि उनके पिता दो साल पहले धनतेरस के दिन बाजार जाने की बात कहकर घर से निकले थे, लेकिन वापस नहीं लौटे. परिवार ने पूरे उत्तर प्रदेश में उनकी तलाश की और गुमशुदगी के पोस्टर भी लगाए, लेकिन समय बीतने के साथ उम्मीद छोड़ दी थी.

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विशाल ने बताया कि दो साल बाद उन्हें फाजिल्का से फोन आया. बीएसएफ अधिकारियों ने वीडियो कॉल पर उनके पिता का चेहरा दिखाया, जिसे विशाल ने तुरंत पहचान लिया. अपने पिता को देखकर विशाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उनकी आँखों में आँसू आ गए. वह अपने चाचा और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ फाजिल्का पहुंचे. परिवार ने बीएसएफ और पुलिस का आभार व्यक्त किया.

बीएसएफ की भूमिका और मामले का कारण

विशाल के चचेरे भाई आदर्श यादव ने बताया कि अमर यादव पहले मुंबई में लूम चलाने का काम करते थे. घर लौटने के बाद उनकी करीब एक एकड़ जमीन पर किसी ने कब्जा कर लिया था, जिसके बाद वे सदमे में आ गए और अपना मानसिक संतुलन खो बैठे. इसी के चलते वे दो साल पहले लापता हो गए थे. पुलिस अधिकारी राम प्रकाश ने बताया कि बीएसएफ ने व्यक्ति को पकड़कर उनके हवाले किया था. जांच में सामने आया कि व्यक्ति दिमागी तौर पर ठीक नहीं है. इसके बाद उसे उसके परिवार को सौंप दिया गया.

इस मामले में बीएसएफ की 19वीं बटालियन की जी ब्रांच ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जी ब्रांच ने अपनी जांच के आधार पर व्यक्ति के घर का पता लगाया और उसके परिवार से संपर्क किया. बीएसएफ के प्रयासों से एक बेटे को उसके पिता से मिलवाया गया. परिवार ने बीएसएफ का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह बीएसएफ के इस एहसान को कभी नहीं भूल पाएंगे.