छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में बीजेपी के उप प्रमुख सागर साहू की हत्या के बाद स्थानीय कार्यकर्ताओं में दहशत का माहौल है.  5 फरवरी को नक्सलियों ने सागर साहू की हत्या उनके घर बीजापुर में कर दी थी. सागर साहू की हत्या के बाद पार्टी की सभी गतिविधियों को निलंबित करने का फैसला लिया गया है. वहीं बीजेपी अपने नेताओं की हत्या का जिम्मेदार काग्रेंस को ठहरा रही है. 


राज्य में माओवादी हमलों का निशाना अक्सर राजनीतिक कार्यकर्ता होते हैं, 2019 के बाद काकेम और साहू छत्तीसगढ़ में मारे गए पहले राजनीतिकत कार्यकर्ता हैं. 5 महीने बाद छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में बीजेपी में अपने नेताओं की हत्या का डर सताने लगा है. 


माओवादियों ने बीजेपी नेताओं की हत्या


नीलकंठ काकेम  एक सक्रिय भाजपा कार्यकर्ता थे, जो 15 सालों से पार्टी के साथ थे. काकेम ने जिला परिषद का चुनाव लड़ा और हार गए, लेकिन काकेम ने ब्लॉक स्तर का चुनाव जीता था. काकेम जब अपनी पत्नी के साथ अपने भतीजे के घर पर थे, तब  माओवादियों ने उन पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया. 


वहीं सागर साहू की भी हत्या उनके घर में ही की गई. माओवादियों ने पहले साहू का दरवाजा खटखटाया. दरवाजा खुलते ही माओवादियों ने साहू को गोली मार दी. साहू ने कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन वह 25 साल तक भाजपा के सक्रिय सदस्य रहे साहू पार्टी के किसान मोर्चा के प्रमुख थे. 


बीजेपी नेताओं की हत्या का चुनावों की तैयारियों पर दिख रहा असर


सागर की हत्या के बाद चुनावी तैयारियों के तहत तैयार किए गए दूरदराज के इलाकों में गठित होने वाले बूथों की तैयारियां रोक दी गई हैं. सभी बूथों पर सन्नाटा पसरा नजर आ रहा है. बीजेपी नेताओं का दावा है कि सागर की हत्या की प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है. उनका मानना है कि प्राथमिकी दर्ज कराने से माओवादियों का गुस्सा बढ़ सकता है, और फिर कोई दूसरा बीजेपी नेता माओवादियों का शिकार हो सकता है.  


वहीं बीजेपी प्रवक्ता केदार गुप्ता ने घटना से पार्टी के परेशान होने की बात को नकारा है.  इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में वो कहते हैं, 'बीजेपी कार्यकर्ता किसी से नहीं डरते. बीजेपी एक मजबूत संगठन है. केदार गुप्ता  ने कहा कि माओवादी हमें जितना रोकेंगे हमारी ताकत उतनी ही बढ़ेगी और हम उनका विरोध मजबूती से करेंगे. 


दूसरी तरफ आरएसएस सदस्य और राज्य महासचिव पवन साय पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या से चिंतित हैं. इंजियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, 'हम अपने पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या से परेशान हैं, लेकिन घटनास्थल पर जाने का ये सही समय नहीं है'. 


माओवादियों के हमले से कांग्रेस की भी परेशानी बढ़ी 


सत्तारूढ़ कांग्रेस भी एक के बाद एक हो रहे इन दो हमलों को लेकर चिंतित है. कांग्रेस के बीजापुर जिला प्रमुख लालू राठौड़ ने कहा, 'मुझे धमकियां नहीं मिली हैं, लेकिन फिर भी डर लग रहा है. पिछले महीने ही माओवादियों ने हमारे कार्यकर्ता राममूर्ति गतपल्ली की हत्या कर दी थी. 


2019 लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने माओवादियों ने बीजेपी नेता को जान से मारा


इन दो हत्याओं से पहले माओवादियों ने जून 2019 में नेताओं की हत्या की थी. समाजवादी पार्टी के नेता संतोष पुनेम का बीजापुर में अपहरण कर लिया गया था और फिर हत्या कर दी गई . इससे दो महीने पहले दंतेवाड़ा में आईईडी विस्फोट में भाजपा विधायक भीमा मंडावी, उनके ड्राइवर और तीन सुरक्षाकर्मियों सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी. ये हादसा लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले हुआ था.


2013 के बाद से पिछले 10 सालों में माओवादियों ने लगभग 38 राजनीतिक प्रतिनिधियों को मारा है. इनमें से 14 कार्यकर्ता मई 2013 में झीरम घाटी की घटना में मारे गए थे, जिसमें लगभग पूरे कांग्रेस राज्य नेतृत्व का सफाया हो गया था. 
 
छत्तीसगढ़ में माओवादियों का नेताओं की हत्या करना एक पुराना चलन


बस्तर रेंज के महानिरीक्षक सुंदराज पी का कहना है कि पिछले कुछ सालों में कई राजनीतिक प्रतिनिधियों सहित 1,700 से ज्यादा निर्दोष नागरिकों की हत्या की जा चुकी है. माओवादियों का नेताओं पर हमला करना इसलिए भी आसान होता है क्योंकि नेता निहत्थे होते हैं उनके पास खुद के बचाव के लिए कोई हथियार नहीं होता है. नेताओं ,कार्यकर्ताओं, पंचायत सदस्यों पर हमला करके माओवादी ग्रामीणों के बीच डर का माहौल पैदा करना चाहते हैं. 


बीजापुर और सुकमा माना जाता है माओवादियों का इलाका


सागर साहू और नीलकंठ काकेम  के अलावा इस महीने 2 और बीजेपी नेताओं की हत्या माओवादियों ने की है.  छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा, राज्य के अंतिम छोर पर बसे इलाके हैं . ये दोनों ही इलाके में माओवादियों का गढ़ कहे जाते हैं. 


2021 की कुछ घटानाएं 



  • 26 मार्च 2021 को बीजापुर में माओवादियों ने जिला पंचायत के सदस्य बुधराम कश्यप की हत्या कर दी.

  • 25 मार्च को माओवादियों ने कोंडागांव जिले में सड़क निर्माण में लगी एक दर्जन से ज्यादा गाड़ियों को आग लगा दी.

  • 23 मार्च को नारायणपुर जिले में माओवादियों ने सुरक्षाबल के जवानों की एक बस को विस्फोटक से उड़ा दिया, हादसे 5 जवान मारे गए.

  •  20 मार्च को बीजापुर जिले में माओवादियों ने पुलिस के जवान सन्नू पोनेम की हत्या कर दी.


राज्य के पूर्व गृह सचिव बीकेएस ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि राज्य में माओवादी एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. ऐसा लगता है कि उनकी ताकत थोड़ी भी कमजोर नहीं हुई है. सरकार इस दिशा में काम करने का दावा तो जरूर करती है लेकिन इस दिशा में कुछ भी नहीं कर रही है. ऐसी कोई नीति ही नहीं बनाई गई जिससे इस दिशा में काम किया जाए.