महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों ने नई सरकार की दशा और दिशा लगभग तय कर दी है. राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से एनडीए 219 सीटों पर आगे चल रहा है, जबकि कांग्रेस गठबंधन सिर्फ 55 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं, 14 सीटों पर अन्य आगे हैं. महाराष्ट्र के इन नतीजों ने उस सवाल को एक बार फिर सामने ला दिया है, जो हिंदुत्व को लेकर अक्सर उठता रहा है. सवाल यह है कि महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन है? आइए समझते हैं पूरा समीकरण.
महाराष्ट्र में कैसे हावी हुई हिंदुत्व की राजनीति?
सबसे पहले तो सवाल यह उठता है कि कभी कांग्रेस का गढ़ कहा जाने वाला महाराष्ट्र हिंदुत्व का गढ़ कैसे बना? दरअसल, 1960 में नए राज्य बने महाराष्ट्र में पहली बार विधानसभा चुनाव 1962 में हुए थे. तब से लेकर 1990 तक यहां कांग्रेस का सिक्का ही चलता रहा. 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद मुंबई में हुए सांप्रदायिक दंगों और बम धमाकों ने राज्य में पहली बार हिंदुत्व की राजनीति को मजबूत किया. यही वजह रही कि 1995 के विधानसभा चुनाव यहां पहली बार शिवसेना और बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी, जिसने महाराष्ट्र में हिंदुत्व को हवा दी. इसके बाद 2014 में मोदी लहर के दौरान इन दोनों पार्टियों ने एक बार फिर सरकार बनाई, लेकिन 2019 में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी में रार ठन गई. इसे लेकर दोनों दल एक-दूसरे के सामने आ गए और खुद को महाराष्ट्र में हिंदुत्व का असली चेहरा बताने लगे.
उद्धव ठाकरे ने दिया था यह बयान
2019 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी का साथ छोड़कर उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस का दामन थामा, तब हिंदुत्व के उनके एजेंडे पर सवाल उठने लगे. उस वक्त सीएम बनने के बाद उन्होंने एक बयान में कहा था कि वह हिंदुत्व के हेडमास्टर हैं. वादा निभाना भी मेरे हिंदुत्व का हिस्सा है. मैं कल भी अपने हिंदुत्व का पालन कर रहा था. आज भी करता हूं और भविष्य में भी करता रहूंगा. मैं अब भी हिंदुत्व की विचारधारा के साथ हूं, जिसे मुझसे कभी भी अलग नहीं किया जा सकता है.
कुछ दिन पहले भी हिंदुत्व पर बीजेपी को घेरा
उद्धव ठाकरे ने रविवार (17 नवंबर) को भी हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा था. उन्होंने कहा था कि हमारा हिंदुत्व लोगों को बेवकूफ बनाने का नहीं है. हमारा हिंदुत्व आतंकवाद को खत्म करने का है. हमारा हिंदुत्व लोगों के घरों में चूल्हे जलाता है, जबकि भाजपा का हिंदुत्व लोगों को जलाकर राख कर देता है. वहीं, बीजेपी गठबंधन लगातार आरोप लगा रहा था कि उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लालच में हिंदुत्व का साथ छोड़ दिया.
बीजेपी कैसे बनी हिंदुत्व का चेहरा?
2019 में शिवसेना से गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी लगातार उद्धव ठाकरे पर निशाना साधती रही और हिंदुत्व के मुद्दे पर उन्हें आड़े हाथों लेती रही. जब 2022 में शिवसेना में बगावत हुई तो बागी दल के नेता एकनाथ शिंदे ने भी उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व के मुद्दे से भटकने का आरोप लगाया. लोकसभा चुनाव के दौरान तो महाविकास अघाड़ी (शिवसेना यूबीटी, एनसीपी शरद पवार और कांग्रेस) का प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा, जिससे बीजेपी गठबंधन के दावों की हवा निकलती नजर आई. हालांकि, विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान बीजेपी के नारे बंटेंगे तो कटेंगे ने महाराष्ट्र में हिंदुत्व के मुद्दे पर राजनीति को नई धार दे दी, जिसका असर चुनावी नतीजों में नजर आ रहा है. इसके हिसाब से देखा जाए तो इस वक्त बीजेपी गठबंधन को महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कहा जा सकता है.
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