महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार (12 दिसंबर) को विधानमंडल परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला. उद्धव ठाकरे ने राज्य की विधानसभा और विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष के खाली पद पर निशाना साधा है. उन्होंने जल्द ही इन पदों पर नियुक्ति की मांग की है.

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इस बीच उद्धव ठाकरे ने सबसे पहले पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि पाटिल ने 26/11 हमलों के दौरान अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए तत्काल इस्तीफा दिया था. ठाकरे ने कहा कांग्रेस ने जो जिम्मेदारी दी, उन्होंने पूरी ईमानदारी से निभाई. उन्होंने उस हमले को अपना फेल्योर माना और पद छोड़ दिया.

दोनों सदनों में विपक्ष के नेता का अभाव चिंता का विषय- ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि विधानसभा और विधानपरिषद, दोनों सदनों में विपक्ष का नेता मौजूद नहीं है. उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी ने भास्कर जाधव के नाम का पत्र पहले ही सौंप दिया है, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि इस मामले पर अध्यक्ष और सभापति ने कहा है कि वे जल्द निर्णय लेंगे, लेकिन कब यह किसी को पता नहीं. हमारी मांग है कि सदन का सत्र समाप्त होने से पहले विपक्ष का नेता नियुक्त किया जाए.

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उपमुख्यमंत्री पद खत्म करने की दोहराई मांग

उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर उपमुख्यमंत्री पद को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि इस पद का कोई संवैधानिक आधार नहीं है. अगर नियमों की बात करते हैं, तो उपमुख्यमंत्री का पद भी नियमों में नहीं है. कल को 40 उपमुख्यमंत्री बना देंगे. संख्या बल की बात करने वाले पहले यह देखें.

दिल्ली का उदाहरण देते हुए साधा निशाना

ठाकरे ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें सत्ताधारी दल के पास थीं और विपक्ष में भाजपा केवल 3 सीटों पर थी, फिर भी विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया था. विपक्ष के नेता का नाम सत्ता पक्ष तय नहीं कर सकता. किसानों, विदर्भ और कानून व्यवस्था पर सरकार पर हमला किसानों की मदद पर बोलते हुए ठाकरे ने कहा कि अगर सरकार को किसानों की सहायता करनी है तो तुरंत सहायता देनी चाहिए. ठाकरे ने कहा जब मैं मुख्यमंत्री था, तत्काल मदद दी थी. विदर्भ मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अलग विदर्भ की मांग उचित नहीं है. ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री खुद विदर्भ के हैं, महाराष्ट्र विदर्भ का है और विदर्भ महाराष्ट्र का. इसे कोई नहीं तोड़ सकता.