संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 1 दिसंबर 2025 से होते ही देशभर में जारी एसआईआर (SIR) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया राष्ट्रीय बहस का सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है. विपक्ष इसके सहारे केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोलने की तैयारी में है, जबकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि SIR पर संसद में चर्चा नहीं होगी. इस मुद्दे का महत्व इसलिए और बढ़ गया है क्योंकि इसे मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव से जोड़कर देखा जा रहा है.

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यह आम लोगों की समझ से परे- खली

इसी बीच पूर्व WWE रेसलर द ग्रेट खली ने भी एसआईआर विवाद पर ताजा बयान दे दिया है. आईएएनएस को दिए बयान में उन्होंने कहा, "यह आम लोगों की समझ से परे है. सरकार की सोच वहां से शुरू होती है जहां हमारी खत्म होती है, इसलिए इस पर कमेंट नहीं करना चाहिए. केंद्र सरकार देश के हित में काम कर रही है." 

संसद में 14 नए बिल पेश होने वाले हैं और विपक्ष की आक्रामक रणनीति के बावजूद सरकार का जोर एसआईआर बहस को सीमित रखने पर है. आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विपक्ष की एकजुटता और सरकार की दृढ़ता के बीच यह टकराव किस मोड़ पर पहुंचता है.

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SIR पर सरकार को घेरने की रणनीति

देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी एसआईआर प्रक्रिया को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है. विपक्षी दलों का दावा है कि इस प्रक्रिया के बहाने लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं. उनका आरोप है कि विशेषकर पिछड़े, दलित, गरीब और वंचित वर्ग के वोटरों को टारगेट कर उनकी राजनीतिक ताकत कमजोर करने की कोशिश हो रही है. विपक्ष का कहना है कि सरकार वोटर लिस्ट में हेरफेर कर सत्ता के पक्ष में अनुकूल माहौल बनाने में जुटी है.

वहीं दूसरी ओर सरकार का रुख बिल्कुल सख्त दिखाई देता है. सरकार का कहना है कि एसआईआर पूरी तरह प्रशासनिक और तकनीकी प्रक्रिया है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची को पारदर्शी और अद्यतन करना है. सरकार के मुताबिक इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की कोई जरूरत नहीं क्योंकि यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है. केंद्र का दावा है कि विपक्ष केवल भ्रम फैलाकर राजनीतिक माहौल गरम करना चाहता है.