Maharashtra Politics: राहुल नार्वेकर के फैसले पर तमतमाई उद्धव गुट की शिवसेना, 'सामना' में जमकर निकाली भड़ास
Saamana Editorial: शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर फैसला आने के बाद उद्धव गुट के निशाने पर हैं राहुल नार्वेकर. उद्धव गुट की शिवसेना ने इस पूरे मामले को लेकर सामना में भड़ास निकाली है.

Shiv Sena Vs Shiv Sena Verdict: महाराष्ट्र में राहुल नार्वेकर के फैसले के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने विधानसभा अध्यक्ष को अपने निशाने पर ले लिया है और उनके फैसले की लगातार आलोचना कर रहे हैं. शिवसेना UBT ने अपने मुखपत्र सामना से भी राहुल नार्वेकर पर जमकर निशाना साधा है. सामना में लिखा है, 'विधानसभा अध्यक्ष को किस तरह से व्यवहार नहीं करना चाहिए यह कल महाराष्ट्र में दिखाई दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष को ‘ट्रिब्यूनल’ यानी न्याय दान करनेवाले मध्यस्थ की भूमिका निभाने को कहा. लेकिन राहुल नार्वेकर सीधे शिंदे समूह के वकील की भूमिका में आ गए. नार्वेकर के तथाकथित नतीजे का पूरे देश में मजाक उड़ाया जा रहा है.'
विधानसभा अध्यक्ष पर साधा निशाना
सामना में शिवसेना UBT ने राहुल नार्वेकर के फैसले को 'महाराष्ट्र के स्वाभिमान पर डंक' बताया है. सामना में आगे लिखा है, 'एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना के तौर पर मान्यता देना यानी विधान भवन के दरवाजे पर पट्टेधारी दरबान द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को ही उनके दालान से बाहर निकालने जैसा है. देश की सर्वोच्च अदालत की अवहेलना कर इस तरह से बंदरों की तरह कलाबाजियां करना यही तानाशाही है. इसी तानाशाही के खिलाफ देश में माहौल तैयार हो रहा है. विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शिंदे गुट के गोगावले को ‘व्हिप’ के रूप में मान्यता देना अवैध था. मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि विधानसभा अध्यक्ष ने यह निर्णय बिना यह जांचे लिया कि किसका पक्ष सही है, लेकिन जो लोग दल बदलकर ‘पीठासीन’ थे, उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. महाराष्ट्र की धरती पर एक अनधिकृत सरकार खड़ी है, जिसे अधिकृत बनाने का काम आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष ने किया.'
राहुल नार्वेकर के फैसले की आलोचना
सामना में शिवसेना ने विधानसभा अध्यक्ष को लेकर कड़ी आलोचना की गई है. सामने के में लिखा है, 'राहुल नार्वेकर के फैसले के बाद मुख्यमंत्री शिंदे का कहना है, ‘यह वंशवाद की हार है.’ ऐसा कहते हुए उन्हें अपने वंशवाद की ओर उंगली दिखानी चाहिए. उन्हें यह घोषणा करनी चाहिए कि अचानक सांसद बने श्रीकांत शिंदे उनके बेटे नहीं हैं तभी वंशवाद की आलोचना करनी चाहिए. मुख्यमंत्री के चिरंजीव श्रीकांत शिंदे दो बार उद्धव ठाकरे द्वारा दी गई उम्मीदवारी पर सांसद बने. छत्रपति शिवाजी के उत्तराधिकारी उदयन राजे भाजपा के घर में हैं. क्या शिंदे इसे भी वंशवाद कहेंगे?' महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर यानी ‘ट्रिब्यूनल’ द्वारा दिया गया फैसला अंतिम नहीं है. उससे भी ऊपर है सर्वोच्च न्यायालय और जनता की अदालत. निर्णय वहीं होगा.'
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Source: IOCL





















