राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) के अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता शरद पवार ने सोमवार (6 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट में हुई उस घटना की कड़ी निंदा की, जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की गई थी. पवार ने कहा कि यह केवल न्यायपालिका पर हमला नहीं, बल्कि भारतीय संविधान और लोकतंत्र का गंभीर अपमान है.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने कहा, “न्यायपालिका लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों को बनाए रखने के लिए है. न्याय की सर्वोच्च संस्था (उच्चतम न्यायालय) में भारत के प्रधान न्यायाधीश पर हमला करने का प्रयास न केवल न्यायपालिका पर हमला है, बल्कि हमारे लोकतंत्र, हमारे संविधान और हमारे राष्ट्र का गंभीर अपमान है.”

उन्होंने आगे कहा कि न्यायपालिका देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और असहमति को न्यायसंगत निष्कर्ष तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाती है. पवार ने कहा कि इस तरह की हरकतें देश की मूल भावना के खिलाफ हैं और इन्हें किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

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'संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश'

पवार ने चिंता जताई कि देश में संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है. उन्होंने कहा, “हमारे देश में फैलाया जा रहा जहर अब सर्वोच्च संवैधानिक संस्थाओं का भी सम्मान नहीं करता. यह देश के लिए खतरे की घंटी है.”

पवार ने भरोसा दिलाया कि वह भारतीय लोकतंत्र के स्तंभों को कमजोर नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि यह समय है जब सभी दलों और नागरिकों को एकजुट होकर लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा बचाने के लिए खड़ा होना चाहिए.

अदालत में हुई थी जूता फेंकने की कोशिश

घटना सोमवार (6 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट में हुई, जब 71 वर्षीय एक वकील ने सुनवाई के दौरान CJI बी. आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की. उस समय न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ मामलों की सुनवाई कर रही थी.

वकीलों के मुताबिक, जूता आरोपी वकील तक ही सीमित रहा और किसी को चोट नहीं लगी. बाद में उसकी पहचान मयूर विहार निवासी राकेश किशोर (71) के रूप में हुई. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उसे हिरासत में ले लिया.