महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे बृहस्पतिवार (11 दिसंबर) को 2008 के दंगा मामले में ठाणे जिले की एक अदालत में पेश हुए. इस दौरान राज ठाकरे ने कोर्ट में खुद को निर्दोष बताया. इस बात की जानकारी उनके वकील ने दी.

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इस बीच जब मनसे अध्यक्ष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ए वी कुलकर्णी के सामने पेश हुए तो बड़ी संख्या में उनके समर्थक बाहर जमा हो गए. अदालत ने (19 अक्टूबर 2008) को उम्मीदवारों तथा पुलिसकर्मियों पर हमले तथा दंगे की घटना के सिलसिले में राज ठाकरे और उनकी पार्टी के कई कार्यकर्ताओं के खिलाफ आरोप तय किए हैं.

राज ठाकरे ने आरोपों से किया इनकार

जब मजिस्ट्रेट ने ठाकरे से पूछा कि क्या वह आरोपों को स्वीकार करते हैं, तो उन्होंने आरोप स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उनके वकील राजेंद्र शिरोडकर ने बताया कि अदालत ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार (16 दिसंबर) को तय की है.

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उन्होंने कहा कि मनसे प्रमुख निर्देश मिलते ही अदालती कार्यवाही में उपस्थित रहेंगे. राज ठाकरे के सुनवाई के लिए पहुंचने पर अदालत परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई. इस दौरान कोर्ट के बाहर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए.

यह हैं राज ठाकरे पर आरोप

मनसे प्रमुख और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर 2008 में बिहार और उत्तर प्रदेश से रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा देने आए उम्मीदवारों को निशाना बनाने का आरोप लगा था. ठाकरे और मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ कुल 54 मामले दर्ज किए गए थे. उस समय ठाकरे को एक लाख रुपये के मुचलके पर रिहा कर दिया गया था.

बॉम्बे उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ठाकरे ने जून 2009 में अपनी अग्रिम जमानत रद्द होने के बाद अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि उनकी हिरासत में पूछताछ अनावश्यक थी, लेकिन सरकार के इस तर्क को स्वीकार किया कि निचली अदालत द्वारा दी गई अग्रिम जमानत निरर्थक हो गई थी.