पुणे में कारगिल वॉर के एक पूर्व सैनिक के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें नागरिकता साबित करने के लिए मजबूर किया गया. पूर्व सैनिक के परिवार का कहना है कि शनिवार (26 जुलाई) देर रात पुलिस के साथ 30 से 40 लोगों के एक ग्रुप ने उनके घर पर धावा बोल दिया, जिसके बाद उन्हें अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए मजबूर किया गया.

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1999 के कारगिल युद्ध में लड़ने वाले रिटायर्ड सैनिक हकीमुद्दीन शेख के परिवार ने मंगलवार (29 जुलाई) को आरोप लगाया कि कुछ लोग पूर्वी पुणे के चंदन नगर स्थित उनके घर पहुंचे और दस्तावेजों की मांग की. आधी रात को परिवार के पुरुष सदस्यों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया.

'रोहिंग्या घोषित करने की दी गई चेतावनी'

पूर्व सैनिक के परिवार के एक सदस्य ने आरोप लगाते हुए कहा, "हमें सुबह 3 बजे तक इंतजार करने के लिए कहा गया और चेतावनी दी गई कि अगर हम अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए, तो हमें बांग्लादेशी या रोहिंग्या घोषित कर दिया जाएगा." 

पुलिस ने भी रखा अपना पक्ष

वहीं, डीसीपी सोमय मुंडे ने कहा कि पुलिस ने संदिग्ध अवैध प्रवासियों के बारे में सूचना मिलने पर कार्रवाई की. डीसीपी ने कहा, "हमारी टीम ने दस्तावेज मांगे. जब यह स्पष्ट हो गया कि वे भारतीय हैं, तो हमने उन्हें जाने दिया. पुलिस टीम के साथ कोई तीसरा व्यक्ति नहीं था. हमारे पास वीडियो फुटेज हैं." 

1984 से 2000 तक सेना में रहे हकीमुद्दीन

58 वर्षीय हकीमुद्दीन ने 1984 से 2000 तक सेना की 269 इंजीनियर रेजिमेंट में 16 साल सेवा की. उन्होंने कहा, "मैंने कारगिल में इस देश के लिए लड़ाई लड़ी थी. मेरा पूरा परिवार इस देश का है. हमें यह साबित करने के लिए क्यों कहा जा रहा है?"

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का रहने वाला यह परिवार 1960 से पुणे में रह रहा है. हालांकि हकीमुद्दीन 2013 में अपने गृहनगर लौट आए थे, लेकिन उनके भाई, भतीजे और उनके परिवार पुणे में ही हैं.