महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति को लेकर जारी गतिरोध पर पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर सीधा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि महा विकास आघाड़ी को विपक्ष का नेता न देना लोकतंत्र के खिलाफ है. चव्हाण ने स्पष्ट किया कि इस देरी के लिए मुख्यमंत्री स्वयं जिम्मेदार हैं और उन्हें जिम्मेदारी से बचने के लिए नाटक बंद करना चाहिए.
पिंपरी-चिंचवड़ में आयोजित एक कार्यक्रम में पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस को बड़ा दिल दिखाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री विपक्ष के संवैधानिक अधिकारों को दबा रहे हैं और जनता की आवाज को कमजोर कर रहे हैं. चव्हाण ने कहा कि मजबूत लोकतंत्र के लिए सशक्त विपक्ष जरूरी होता है, लेकिन मौजूदा सरकार इस बुनियादी सिद्धांत को नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि यह रवैया राज्य के हित में नहीं है और इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचता है.
स्पीकर के पीछे छिपने का आरोप
मुख्यमंत्री द्वारा यह कहे जाने पर कि विधानसभा अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति पर फैसला करेंगे, चव्हाण ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि असल में महाराष्ट्र में फैसले कौन ले रहा है, यह सभी जानते हैं. चव्हाण ने आरोप लगाया कि फडणवीस ही सब कुछ नियंत्रित कर रहे हैं और उन्हें स्पीकर के पीछे छिपने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री विपक्ष का नेता नहीं चाहते, तो उन्हें साफ शब्दों में यह बात कहनी चाहिए. बार-बार जिम्मेदारी टालना राजनीतिक नाटक से ज्यादा कुछ नहीं है.
आत्मकथा विमोचन और सामाजिक संदेश
इससे पहले दिन में पृथ्वीराज चव्हाण ने सामाजिक कार्यकर्ता मानव कांबले की आत्मकथा ‘जना गण मन’ का विमोचन किया. इस अवसर पर उन्होंने कांबले की जमकर सराहना करते हुए उन्हें युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताया. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, चव्हाण ने कहा कि आज के दौर में भी मानव कांबले जैसे कार्यकर्ता मौजूद हैं, जो जीवन की कठिनाइयों से लड़कर समाज के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि इस पुस्तक का अन्य भाषाओं में अनुवाद होना चाहिए, ताकि अलग-अलग क्षेत्रों के युवा इससे प्रेरणा ले सकें.
कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ कार्यकर्ता मानव कांबले ने कहा कि उनकी आत्मकथा युवाओं को जरूर प्रेरित करेगी. उन्होंने बताया कि ट्रेन हादसे में दोनों पैर गंवाने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. कांबले ने कहा कि उन्होंने पुणे, पिंपरी और महाराष्ट्र के लोगों के लिए लगातार संघर्ष किया और नागरिकों की समस्याओं को तार्किक अंजाम तक पहुंचाया. पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताते हुए कांबले ने कहा कि चव्हाण ने उनकी किताब पढ़कर उनके संघर्ष को सराहा, जो उनके लिए सम्मान की बात है.