साल 2023 में महाराष्ट्र में आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले देश में सबसे ज्यादा दर्ज किए गए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में 1,389 मामले सामने आए, जिनमें 1,480 लोगों ने अपनी जान गंवाई.

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महाराष्ट्र के बाद मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है. यहां 1,153 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 1,211 लोगों ने आत्महत्या की. वहीं उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है, जहां 1,075 मामले और 1,186 पीड़ित दर्ज हुए. रिपोर्ट के मुताबिक, यह आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या को लेकर समस्या केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि कई राज्यों में यह गंभीर मुद्दा बना हुआ है.

लगभग 6 लाख आपराधिक मामले हुए दर्ज

एनसीआरबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2023 में महाराष्ट्र में कुल 5,96,103 अपराध के मामले दर्ज किए गए. इनमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और राज्य-विशेष कानून (एसएलएल) के तहत दर्ज अपराध शामिल हैं. कुल मामलों में से 82.2 प्रतिशत मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए गए थे.

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उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे ऊपर है, जहां 7,93,020 मामले दर्ज हुए. रिपोर्ट में बताया गया है कि आईपीसी अब भारतीय न्याय संहिता (आईजेसी) में बदल दिया गया है, जबकि एसएलएल में राज्य-विशेष कानून जैसे कि जुआ अधिनियम के तहत अपराधों को शामिल किया गया है.

लगातार बढ़ रहे मामले

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि महाराष्ट्र में अपराधों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. 2021 में यहां कुल 5,40,800 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2022 में बढ़कर 5,57,012 हो गए. 2023 में यह आंकड़ा और बढ़कर 5,96,103 तक पहुंच गया. यह दर्शाता है कि अपराध दर में लगातार वृद्धि हो रही है और इसके लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है.

2023 की रिपोर्ट साफ करती है कि महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों में आत्महत्या के लिए उकसाने और अन्य अपराधों की संख्या चिंता बढ़ाने वाली है. राज्य और केंद्र सरकार दोनों को मिलकर ऐसे मामलों को रोकने और लोगों की मानसिक स्वास्थ्य सहायता बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे.