एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है. इसका ऐलान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया जिसके बाद से लगातार राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरु हो गया है. एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन RSS और बीजेपी के बेहद करीबी माने जाते हैं और उन्हें महाराष्ट्र में एक खास रणनीति के तहत लाया गया था. पवार ने कहा कि हम उन्हें बधाई देते हैं, लेकिन साथ ही ये सवाल भी उठता है कि मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का क्या हुआ.

रोहित पवार का बयान

रोहित पवार ने कहा कि राधाकृष्णन को महाराष्ट्र में इसलिए नियुक्त किया गया था ताकि यहां की उभरती असंतोष की लहर को रोका जा सके. एएनआ के अनुसार, उन्होंने कहा, “जगदीप धनखड़ ने विरोधी पक्ष के एक प्रस्ताव को सरकार को न पूछते हुए उसे स्वीकारा था, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सबके होते हैं, विरोधी पक्ष के भी होते हैं, लेकिन जो सत्ताधारी होते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि ये सभी उनके कठपुतलियां है. अभी ये जो नए सीपी राधाकृष्णन उन्हें बनाया जा रहा है तो बीजेपी को लग रहा है कि वो उनका सुनेंगे. तो ऐसा हो भी सकता है लेकिन जब धनकड़ साहब बारह आएंगे तो वो क्या कहते हैं ये देखने वाली बात होगी.”

चुनाव आयोग पर भी साधा निशाना

चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बोलते हुए रोहित पवार ने आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए. आईएनएस को दिए बयान में उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है लेकिन आज वह बीजेपी का एक विस्तारित विभाग बनकर काम कर रहा है. पवार ने आरोप लगाया कि आयोग सबूत मांगने पर स्पष्ट जवाब नहीं देता, बल्कि भाषाई गोलमाल से जनता को उलझाता है. उन्होंने कहा, “अगर आपके पास प्रमाण है तो साफ-साफ दीजिए. यही कारण है कि चुनाव आयोग को राष्ट्रीय भाषा में नहीं बल्कि तकनीकी भाषा में स्पष्ट उत्तर देना चाहिए.”

राहुल गांधी और विपक्ष का समर्थन

पवार ने आगे कहा कि राहुल गांधी और विपक्ष के नेता चुनाव आयोग की धमकियों से डरते नहीं हैं. आज आम आदमी भी डरता नहीं क्योंकि जनता को समझ आ चुका है कि चुनाव आयोग के कामकाज में बीजेपी का बड़ा हस्तक्षेप है. उन्होंने दोहराया कि लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान होना चाहिए और विपक्ष की आवाज को दबाना संविधान की आत्मा के खिलाफ है.