Maharashtra News: विधानसभा का बजट सत्र सोमवार (4 मार्च) को मुंबई में शुरू हुआ. राज्य में वैसे तो महा विकास आघाडी (एमवीए) के सहयोगियों ने अभी तक महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) पद पर औपचारिक रूप से दावा पेश नहीं किया है, लेकिन एक प्रमुख घटक ने सोमवार (3 मार्च) को मांग की है कि कैबिनेट स्तर का यह पद गठबंधन के सभी तीन दलों को बारी-बारी से मिलना चाहिए.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने मांग की है कि विपक्ष के नेता का पद एमवीए के सभी घटक दल एनसीपी एसपी, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) को 18-18 महीने के लिए बारी-बारी से मिले.
'मजबूत विपक्ष के साथ रहना होगा'राज्य के पूर्व मंत्री आव्हाड ने आगे कहा, "हम कह रहे हैं कि नेता प्रतिपक्ष का पद तीन पार्टियों को 18 महीने के लिए बारी-बारी से मिलना चाहिए ताकि हर पार्टी को राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिले. हमें एक मजबूत विपक्ष के रूप में एक साथ रहना होगा. यह एनसीपी शरद गुट का रुख है."
'तीनों दल करेंगे बैठक'आव्हाड ने कहा कि तीनों दलों के वरिष्ठ नेता आपस में बैठक करेंगे और इस पर निर्णय लेंगे. हालांकि, ठाणे शहर के विधायक आव्हाड ने इस बात पर जोर दिया कि इस पद पर बैठने का पहला मौका शिवसेना (यूबीटी) को मिलना चाहिए, जिसके पास 288 सदस्यीय विधानसभा में विपक्षी दलों में सबसे अधिक 20 सीट हैं.
संजय राउत ने पेश किया था दावाबता दें कि पिछले हफ्ते शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा था कि उनकी पार्टी विधानसभा में एलओपी पद के लिए दावा पेश करेगी. निचले सदन (विधानसभा) में शिवसेना यूबीटी के 20, कांग्रेस के 16 और एनसीपी शरद पवार गुट के 10 विधायक हैं. अभी तक, उनमें से किसी ने भी औपचारिक रूप से इस पद के लिए दावा पेश नहीं किया है.
'संविधान में ऐसा नियम नहीं'परंपराओं के अनुसार, विपक्ष के नेता पद पर दावा करने के लिए किसी विपक्षी दल के पास सदन में 10 प्रतिशत सीट ( 28 सदस्य) होने की आवश्यकता होती है. शिवसेना यूबीटी विधायक भास्कर जाधव ने दावा किया, "लेकिन संविधान में ऐसा कोई नियम (कुल सीट का 10 प्रतिशत निर्धारित करने वाला) या प्रावधान नहीं है."
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