मुंबई: BMC ने दादर कबूतरखाने को किया बंद, अब सड़कों पर मंडरा रहे पक्षी, जैन समुदाय नाराज
Dadar Kabutarkhana News: दादर कबूतरखाना बंद होने के बाद अब सैकड़ों कबूतर स्टेशन से लेकर लगभग 300 मीटर इलाके में सड़कों पर आ गए हैं. जैन समाज और पक्षी प्रेमी सड़कों से कबूतरों को हटा रहे हैं.

मुंबई के प्रतिष्ठित दादर कबूतरखाना को बीएमसी ने कोर्ट के आदेश के बाद अस्थायी रूप से बंद कर दिया है. ताड़पत्री लगाकर इस स्थल को सील कर दिया गया है, जहां जैन समाज और अन्य पक्षी प्रेमी दशकों से कबूतरों को रोजाना दाना डालते आए हैं. हर दिन यहां हजारों कबूतरों को भोजन कराया जाता था, लेकिन अब यह सिलसिला रुक गया है.
कबूतरखाना बंद होने के बाद अब सैकड़ों कबूतर स्टेशन से लेकर कबूतरखाने तक लगभग 300 मीटर इलाके में सड़कों पर आ गए हैं, जहां वे अनाज के इंतजार में बैठे हैं. इससे न सिर्फ ट्रैफिक बाधित हो रहा है, बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है.
जैन समाज और पक्षी प्रेमी सड़कों पर उतरे
स्थिति बिगड़ने पर जैन समाज और पक्षी प्रेमी खुद सड़कों पर उतर आए हैं और नाका मजदूरों की मदद से कबूतरों को हटाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि कोई वाहन इन पर चढ़ न जाए. उनका आग्रह है कि 'कबूतरखाना' फिर से शुरू किया जाए.
क्या है पूरा मामला?
बीएमसी अब कबूतरों को दाना डालने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर रही है. माहिम में इस तरह की पहली एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है. वहीं, तनाव न बढ़े इसके लिए पुलिस बल को कबूतरखाना परिसर में तैनात किया गया है. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह केवल एक दाना डालने की जगह नहीं, बल्कि भावनाओं से जुड़ा एक स्थान है.
- BMC ने 2 अगस्त की रात को दादर के ऐतिहासिक कबूतरखाना परिसर को पूरी तरह से प्लास्टिक शीट्स और बांस की संरचनाओं से ढक दिया, ताकि वहां लोगों को दाना डालने से रोका जा सके.
- यह कार्रवाई बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद की गई है, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना डालने पर प्रतिबंध लगाने को कहा गया है.
- इस जगह की बिजली आपूर्ति भी काट दी गई है और वहां नियमित निगरानी की जा रही है ताकि कोई व्यक्ति आदेश का उल्लंघन न कर सके.
- अब तक दादर इलाके में कबूतरों को दाना डालते पाए गए 16 लोगों पर 500 का जुर्माना लगाया गया है.
- इससे पहले, 1 अगस्त को भी BMC ने इस कार्रवाई की शुरुआत की थी, लेकिन स्थानीय नागरिकों के विरोध के चलते उसे रोक दिया गया था.
बॉम्बे HC ने 51 कबूतरखानों को बंद करने का दिया आदेश
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को आदेश पारित करते हुए कहा कि मुंबई के सभी 51 कबूतरखानों को बंद किया जाए क्योंकि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि कोई व्यक्ति इन स्थानों पर दाना डालते हुए पाया जाता है तो उस पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 223, 270 और 271 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की जाए.
कोर्ट ने BMC को यह भी निर्देश दिया कि यदि कबूतरखाने किसी ऐतिहासिक संरचना में आते हैं, तो उन्हें तोड़ा न जाए, बल्कि ढककर वहां की गतिविधियों को रोका जाए. इसके अलावा कोर्ट ने BMC, राज्य सरकार और केईएम अस्पताल जैसे स्वास्थ्य संस्थानों से यह स्पष्ट करने को कहा है कि कबूतरों से जुड़ा प्रदूषण वास्तव में लोगों के स्वास्थ्य को किस प्रकार नुकसान पहुंचा रहा है.
BMC और स्वास्थ्य विभाग का क्या कहना है?
BMC और स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि कबूतरों की बीट, पंख और घोंसलों से निकलने वाला कचरा हवा में फैलता है, जिससे "पिजन लंग" नामक फेफड़ों की बीमारी हो सकती है. यह बीमारी विशेषकर बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा जैसी बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए गंभीर खतरा बन जाती है. नागरिकों को सांस लेने में तकलीफ, एलर्जी, और आंखों में जलन जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिसे डॉक्टर कबूतरों से फैलने वाला प्रदूषण मान रहे हैं.
महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इस विषय पर संज्ञान लेते हुए BMC और स्वास्थ्य विभाग को आठ सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.
धार्मिक संगठन और नागरिकों का विरोध
जैन समाज और अन्य धार्मिक समुदायों ने BMC की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा है कि कबूतरों को दाना डालना हमारी धार्मिक परंपरा और नैतिक दायित्व है. जैन साधु-संत और सामाजिक कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे है. उनका कहना कि जब से कबूतरखानों में दाना डालना बंद हुआ है, हजारों कबूतर भूख से मरने लगे हैं.
जैन समाज ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि 10 अगस्त तक कबूतरों को दाना डालने की अनुमति नहीं दी गई, तो साधु-संत आमरण अनशन पर बैठेंगे. धार्मिक संगठनों ने यह भी तर्क दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 51(A)(g) के अनुसार प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह सभी प्राणियों के प्रति दया और सहानुभूति रखे.
दादर कबूतरखाना का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व
दादर कबूतरखाना वर्ष 1933 में स्थापित किया गया था और इसे मुंबई की सांस्कृतिक धरोहरों में एक अहम स्थान प्राप्त है. यह संरचना ग्रेड-II हेरिटेज स्ट्रक्चर घोषित है, जिसका मतलब है कि इसे बिना विशेष अनुमति के तोड़ा या बदला नहीं जा सकता.यह जगह केवल कबूतरों के लिए ही नहीं, बल्कि दैनिक पूजा, धार्मिक दान और पर्यावरण जागरूकता के लिए भी महत्वपूर्ण रही है.
कबूतरखाने के वैकल्पिक समाधान पर चर्चा
मुंबई के संरक्षक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने BMC आयुक्त से अनुरोध किया है कि कबूतरों को दाना डालने के लिए वैकल्पिक स्थान निर्धारित किए जाएं, जहां सेहत और साफ-सफाई की दृष्टि से कोई खतरा न हो. संभावित वैकल्पिक स्थानों में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC), आरे कॉलोनी और संजय गांधी नेशनल पार्क (SGNP) के नाम सामने आए हैं. BMC फिलहाल इन विकल्पों पर विचार कर रही है लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL
























