बंबई हाई कोर्ट ने गुरुवार (27 नवंबर) को कहा कि अधिकारी महानगर में वायु प्रदूषण के लिए इथोपिया में ज्वालामुखी फटने से उठी राख को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते और वायु गुणवत्ता सूचकांक उससे बहुत पहले से ही खराब रहा है. मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ से शहर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर वर्ष 2023 से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई करने का आग्रह किया गया था.

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याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा और जनक द्वारकादास ने कहा कि शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) इस महीने लगातार खराब और 300 से ऊपर रहा है. अतिरिक्त सरकारी वकील ज्योति चव्हाण ने कहा कि दो दिन पहले इथोपिया में हुए ज्वालामुखी फटने के कारण वायु प्रदूषण और बढ़ गया है.

'AQI पहले से ही खराब था, ज्वालामुखी के बाद नहीं'

हालांकि, अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि ज्वालामुखी फटने से बहुत पहले से ही वायु प्रदूषण खराब था. अदालत ने कहा, “इस विस्फोट से पहले भी, अगर कोई बाहर निकलता था तो 500 मीटर से आगे दृश्यता बहुत कम होती थी.” पीठ ने दिल्ली की स्थिति का जिक्र करते हुए पूछा कि इस समस्या से निपटने के लिए क्या प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं.

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दिल्ली की स्थिति का जिक्र कर प्रभावी उपायों पर अदालत ने उठाए सवाल

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है. पीठ ने सवाल किया, 'सबसे प्रभावी उपाय क्या हो सकते हैं? हम सब देख रहे हैं कि दिल्ली में क्या हो रहा है? इसका क्या असर होगा?' अदालत ने मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी.

इथोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित ज्वालामुखी ‘हेली गुब्बी’ रविवार को फट गई थी, जिससे आसमान में लगभग 14 किलोमीटर (45,000 फुट) तक राख का एक विशाल गुबार उठ गया. यह गुबार लाल सागर से होते हुए पूर्व की ओर अरब प्रायद्वीप और भारतीय उपमहाद्वीप की ओर फैल गया.