महाराष्ट्र विधानसभा में उद्धव ठाकरे गुट के विधायक वरुण सरदेसाई की तरफ से वांद्रे इलाके की 42 एकड़ जमीन और वहां के झोपड़पट्टी पुनर्वसन से जुड़े मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच भारी हंगामा हुआ. 

इस प्रस्ताव पर एकनाथ शिंदे गुट के मंत्री शंभूराज देसाई के जवाब से ठाकरे गुट के विधायक आक्रामक हो गए और खुद आदित्य ठाकरे ने भी सदन में तीखा रुख अपनाया.

शंभूराज देसाई का आरोप

शंभूराज देसाई ने कहा, “मुझे इस मुद्दे में ज्यादा गहराई में नहीं जाना था, लेकिन मेरे पास जो जानकारी है, उसके मुताबिक 2019 से 2022 के बीच तत्कालीन राज्य सरकार ने इस मामले में एक बार भी केंद्र से कोई पत्राचार नहीं किया.” इतना कहते ही सदन में हंगामा मच गया.

शंभूराज देसाई ने आगे कहा, “हमने 2022 में सरकार बनने के बाद इस मुद्दे पर चार बार पत्र भेजे हैं. आपने क्या किया? हमारी बदनामी मत करो. बताओ, आपने क्या किया? अगर मैंने किसी का नाम नहीं लिया तो फिर तुम्हारी नाक में मिर्ची क्यों लगी?”

रेलवे की जमीन ली तो उसका विरोध क्यों?बीजेपी विधायक अतुल भातखलकर ने कहा कि इस मुद्दे का असर मेरे विधानसभा क्षेत्र पर भी है. जब धारावी पुनर्विकास के लिए रेलवे की जमीन ली जा सकती है तो फिर इस जमीन को लेकर विरोध क्यों हो रहा है? राज्य सरकार इसके लिए क्या प्रयास करेगी? इस पर मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा कि वे इस मामले में अपने कार्यालय में बैठक करेंगे.

आदित्य ठाकरे का पलटवारशिवसेना (यूबीटी) के विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं, गलत जवाब दे रहे हैं. क्या हमें विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाना चाहिए?

वहीं ठाकरे गुट के विधायक भास्कर जाधव ने कहा कि कोई भी मंत्री किसी भी विभाग पर बयान नहीं दे सकता. इसके लिए अध्यक्ष की अनुमति जरूरी है. शंभूराज देसाई शहरी विकास विभाग के मामलों पर कैसे बोल सकते हैं? क्या वे मुख्यमंत्री हैं?

इसी दौरान भास्कर जाधव और सत्तापक्ष के विधायकों में तीखी बहस हुई, जिसके चलते विधानसभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी.