Maharashtra Goseva Ayog Order: महाराष्ट्र में गोसेवा सेवा आयोग ने बकरीद से पहले बड़ा फैसला लेते हुए पशु बाजार बंद रखने के निर्देश दिए हैं. इससे मुस्लिम समुदाय में रोष है. इस बीच महाराष्ट्र के मंत्री और राज्य बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि गोसेवा सेवा आयोग का बहुत अच्छा फैसला है, क्योंकि ऐसे दिनों में गाय के बछड़े को काटने का काम होता है, लेकिन अगर ये पांच दिन बाजार बंद रहेगा तो, गऊ माता नहीं कटेगी.
राजस्व मंत्री बावनकुले ने कहा, ''बड़े पैमाने पर जो इन दिनों में गऊ माता को लाया जाता है, उसे बकरीद पर काटने का प्रयास होता है. मुझे लगता है कि गौशाला आयोग ने बहुत अच्छा फैसला लिया है. बाजार बंद रखना चाहिए. पांच दिन बाजार बंद रखने से कुछ नहीं होगा. ''
देशभर में 7 जून को बकरीद है. इससे पहले कुर्बानी के लिए खरीददारी शुरू है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, देशी गायों के कल्याण के लिए महाराष्ट्र गोसेवा आयोग ने सभी कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) को 3 जून से 7 जून तक कोई भी पशु बाजार आयोजित नहीं करने के लिए कहा है.
गोसेवा सेवा आयोग के निर्देष में क्या है?इस कदम की मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने आलोचना की है. उनका कहना है कि आयोग ईद से पहले पूरे सप्ताह भेड़-बकरियों सहित सभी जानवरों की बिक्री रोक रहा है.
सभी एपीएमसी को 27 मई को भेजे गए पत्र में गोसेवा आयोग ने कहा, ''बकरीद त्योहार पर बड़े पैमाने पर पशुओं की कुर्बानी दी जाती है, इसी के मद्देनजर 3-8 जून तक कोई भी पशुधन बाजार आयोजित नहीं किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गोवंश का अवैध वध न हो.''
महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम का हवाला देते हुए पत्र में कहा गया कि "कृपया सतर्क रहें, जो राज्य में गोजातीय पशुओं (गाय वंश) के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है.''
मौजूदा नियमों के तहत, महाराष्ट्र में गायों, बैलों और सांडों का वध पूरी तरह से प्रतिबंधित है, चाहे उनकी उम्र या स्थिति कुछ भी हो. गोमांस - गायों, बैलों और बैलों का मांस - रखना भी अपराध है.
फैसले का विरोधगऊ सेवा आयोग के फैसले का वंचित बहुजन अघाड़ी ने विरोध किया है. राज्य उपाध्यक्ष फारूक अहमद ने कहा, "राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है कि गोहत्या न हो. लेकिन पूरे बाजार को बंद करने के पीछे क्या इरादा है? अगर बाजार नहीं लगाए गए तो बकरी, भैंस और भेड़ जैसे गैर-प्रतिबंधित जानवरों का व्यापार भी बंद हो जाएगा. नतीजतन, किसानों, दलालों, ड्राइवरों, कुरैशी-खटिक समुदाय और मजदूरों की दैनिक मजदूरी आय बंद हो जाएगी."