मराठा आरक्षण की मांग को लेकर दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में आज (2 सितंबर) पांच दिन भी जारी है. हालांकि इस आंदोलन में कई तरह की हलचलें देखी जा रही है. अनशन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा है कि वह सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी भी वे अपनी मांगो पर अडिग हैं.

उन्होंने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे. जरांगे ने कहा कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है और सरकार यदि दबाव या दमन का रास्ता अपनाती है तो इसकी छवि खराब होगी.

जरांगे की चेतावनी और शांति की अपील

मनोज जरांगे ने कहा कि वह लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से पिछले दो साल से संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम गरीब मराठों को न्याय दिलाकर रहेंगे. अगर सरकार गरीबों का दर्द भूल जाएगी तो यह उसके लिए ठीक नहीं होगा.” जरांगे ने समर्थकों से अपील की कि आंदोलन शांतिपूर्ण ही रहना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में हिंसा का सहारा नहीं लिया जाए. उन्होंने दावा किया कि अब तक 58 लाख लोगों का पंजीकरण हो चुका है, लेकिन उन्हें कुनबी प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा है.

अदालत और पुलिस की सख्ती

मुंबई पुलिस ने मंगलवार को जरांगे और उनकी टीम को नोटिस जारी कर जल्द से जल्द आज़ाद मैदान खाली करने का आदेश दिया. पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने तय शर्तों का उल्लंघन किया है. इससे पहले 1 सितंबर को मुंबई उच्च न्यायालय ने भी समर्थकों को दोपहर तक सड़कों से हटने और शहर की सामान्य स्थिति बहाल करने के निर्देश दिए थे.

कोर्ट में CM झूठ बोल रहे हैं- मनोज जरांगे

जरांगे ने इस पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि वह अदालत के सभी आदेशों का पालन कर रहे हैं और यदि सरकार ने उन्हें जबरन हटाने या गिरफ्तार करने की कोशिश की तो आंदोलन और तेज होगा. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अदालत में झूठी गवाही दे रहे हैं और उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे.

जरांगे ने कहा कि सरकार को तुरंत आदेश जारी करना चाहिए, जिसमें मराठों को कुनबी जाति के रूप में मान्यता देकर उन्हें ओबीसी आरक्षण में शामिल किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि हैदराबाद और सतारा राजपत्र लागू कर मराठों को आरक्षण का लाभ दिलाया जाना चाहिए.

साथ ही, जरांगे ने सरकार से अपील की कि वह अधिसूचना लागू करे जिसके तहत पात्र मराठों के रिश्तेदारों तक ओबीसी समुदाय से जुड़े आरक्षण का लाभ बढ़ाया जाए. पीटीआई के अनुसार, जरांगे ने दोहराया, “मैं यहां से नहीं जाऊंगा, चाहे कुछ भी हो जाए. यह लड़ाई शांति से लड़ी जाएगी और आखिरी सांस तक मैं मुंबई में रहकर इसे जारी रखूंगा.”