मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे बुधवार को अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराटी (जिला जालना) से मुंबई के लिए रवाना हुए. उन्होंने घोषणा की कि 29 अगस्त से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेंगे.

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनसे अनुरोध किया था कि गणेश उत्सव (27 अगस्त से प्रारंभ) के दौरान विरोध प्रदर्शन को टाल दिया जाए. लेकिन जरांगे ने साफ कहा कि "हम आंदोलन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी को कोई असुविधा न हो."

शांतिपूर्ण आंदोलन पर रहेगा जोर- मनोज जरांगे

रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत में 43 वर्षीय जरांगे ने कहा कि "हमें उकसाने की कोशिशें की जाएंगी, लेकिन हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करेंगे. इस बार चाहे कितना भी समय लगे, हम मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करेंगे." उन्होंने यह भी कहा कि उनके समर्थक यह सुनिश्चित करेंगे कि गणेश उत्सव में लोगों की आस्था और धार्मिक भावना को कोई ठेस न पहुंचे और शहर का माहौल शांत बना रहे.

मुंबई कूच की तैयारी में समर्थकों का जत्था

बुधवार सुबह से ही छत्रपति संभाजीनगर, जालना और मराठवाड़ा क्षेत्र के अन्य जिलों से सैकड़ों समर्थक अंतरवाली सराटी में पहुंचने लगे. समर्थक जत्थों के साथ मुंबई कूच करने की तैयारी कर रहे हैं.

ट्रकों से राशन लेकर मुंबई पहुंच रहे समर्थक

मनोज जरांगे पाटिल को मराठा आरक्षण के केंद्र रहे बीड जिले से समर्थन मिल रहा है. मनोज जरांगे मुंबई जाने पर अड़े हैं और उनके साथ जाने के लिए बीड से बड़ी संख्या में मराठा समाज के लोग अंतरवाली सारथी में शामिल हुए. मराठा समाज के लोग ट्रकों में भरकर पंद्रह दिनों का राशन लेकर मुंबई के लिए रवाना हो गए हैं. अंतरवाली सारथी में एक से ज्यादा ट्रक इसी रूप में मुंबई के लिए रवाना हुए थे.

क्या है आरक्षण की मुख्य मांग?

जरांगे की मुख्य मांग है कि मराठा समुदाय को कुनबी जाति (अन्य पिछड़ा वर्ग – OBC) में शामिल किया जाए. इससे समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.

क्या होगा आगे?

जरांगे का यह आंदोलन महाराष्ट्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है. पिछली बार जालना में हुए आंदोलन ने राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी. इस बार आंदोलन मुंबई में हो रहा है, जिससे सरकार और प्रशासन सतर्क हैं. जरांगे के अनुसार यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक मराठा समुदाय को कानूनी और स्थायी रूप से आरक्षण का लाभ नहीं मिल जाता.