Maratha Reservation Protest: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने मंगलवार को कहा कि मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने की मसौदा अधिसूचना अंतिम नहीं है और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेता अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं. मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के आंदोलन के बाद सरकार जो मसौदा लेकर आयी, उससे राज्य के मंत्री छगन भुजबल सहित अन्य ओबीसी नेताओं ने आशंका व्यक्त की है कि इससे ओबीसी श्रेणी में मराठों को पिछले दरवाजे से प्रवेश की सुविधा मिलेगी.


क्या बोले बीजेपी नेता?
बावनकुले ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने मसौदा अधिसूचना पर सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं, इसलिए यह अधिसूचना अंतिम नहीं है. यदि ओबीसी नेताओं और अन्य लोगों को लगता है कि अन्याय होगा, तो वे अपनी आपत्तियां बता सकते हैं और अंतिम आपत्तियों और सुझावों को सुनने के बाद निर्णय लिया जाएगा.” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने को लेकर सकारात्मक है और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा उठाए गए कदम उचित थे.


सरकार ने मानी सभी मांगें
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय की सभी प्रमुख मांगें मान ली हैं, इसके बाद उनका आंदोलन समाप्त कर दिया गया. शिव संगठन नेता मनोज जरांगे-पाटिल और सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने आधी रात के आसपास विस्तृत चर्चा की, जो सफल रही. बाद में, सरकार ने एक आधिकारिक अधिसूचना सरकारी संकल्प (जीआर) जारी की, जिसकी एक प्रति जरांगे-पाटिल को सौंपी गई. इसके बाद उन्होंने विभिन्न पहलुओं पर अपनी टीम और कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ली और फिर आंदोलन खत्‍म करने का फैसला किया.


मसौदा नियमों में क्या कहा गया है?
कोटा के लिए रक्त संबंधों ('सेज-सोयारे') को शामिल करने की जरांगे-पाटिल की प्रमुख मांग पर, जीआर में मसौदा नियमों में कहा गया है कि इसमें आवेदक के पिता, दादा, परदादा और पिछली पीढ़ियों के रिश्तेदारों को शामिल किया जाएगा जो कि उनके भीतर विवाह से बने हैं. एक ही जाति, और एक ही जाति के भीतर विवाह से बनने वाले रिश्ते भी शामिल हैं.


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