महाराष्ट्र के नंदुरबार में एक आदिवासी युवक की हत्या के विरोध में निकाला गया मौन मार्च ने हिंसक रूप ले लिया. इस बीच पुलिस और तैनात उपद्रवियों के बीच पथराव हुआ. वहीं भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.

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जानकारी के मुताबिक मार्च शांतिपूर्ण चल रहा था, लेकिन कुछ उपद्रवियों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय में खड़े वाहनों में तोड़फोड़ की. घटना में एक पुलिस अधिकारी, एक पुलिसकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता मालती वाल्वी भी घायल हो गईं. घायलों की संख्या बढ़ने की संभावना है. पुलिस स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है.

आंसू गैस के गोले दागे

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने स्थानीय संगठनों के नेतृत्व में दोपहर को आयोजित 'मौन' विरोध मार्च में भाग लेने वाले लगभग 8,000 लोगों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे.

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प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय आदिवासी कार्यकर्ता जय वाल्वी की हत्या के दोषियों को मृत्युदंड देने की मांग की है. 16 सितंबर को कुछ लोगों ने उनकी चाकू मारकर हत्या कर दी थी. पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है और हत्या के कारणों की जांच की जा रही है.

बैरिकेड तोड़कर किया पथराव

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिलाधीश कार्यालय पर 'मौन' मार्च के समापन के बाद कुछ सदस्य जिलाधिकारी को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपने गए. इसी बीच, प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने कार्यालय में लगे बैरिकेड तोड़कर पथराव शुरू कर दिया और परिसर में खड़े कुछ वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया.

उन्होंने कहा, 'जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय और जिलाधिकारी के आधिकारिक आवास तक मार्च करने की कोशिश की तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे.'

काबू में हालात

अधिकारी ने बताया कि जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.पुलिस ने हिंसा में शामिल कई संदिग्धों को हिरासत में लिया और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया है. अधिकारी ने बताया कि अब स्थिति नियंत्रण में है.