Sanjay Raut News: संजय राउत के शरद पवार को लेकर दिए गए बयान पर जमकर राजनीति चल रही है. शिवसेना (उद्धव गुट) के तमाम नेता जहां संजय राउत के बयान को पूरी तरह सही बता रहे हैं तो वहीं शरद पवार की पार्टी के नेता शिवसेना उद्धव गुट के नेताओं को सलाह दे रहे हैं कि हर चीज को राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहिए. संजय राउत ने शरद पवार के महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सम्मानित किए जाने को लेकर सवाल खड़े किए थे.

संजय राउत ने अपने बयान में सवाल उठाए थे कि आखिर शरद पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को क्यों सम्मानित किया? संजय राउत ने सवाल उठाते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना को तोड़ने का काम किया है ऐसे व्यक्ति को आखिरकार शरद पवार कैसे सम्मानित कर सकते हैं.

संजय राउत द्वारा किए गए हमले को और आगे बढ़ाते हुए शिवसेना उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एकनाथ शिंदे के लिए गद्दार जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल कर दिया. प्रियंका चतुर्वेदी ने हमला करते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को तोड़ने का काम किया है वह एक गद्दार हैं और ऐसे में अगर शरद पवार एकनाथ शिंदे को सम्मानित कर रहे हैं तो सवाल यह उठता है कि क्या वह उनकी गद्दारी को सम्मानित करना चाहते हैं?

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि अगर शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को गद्दारी से जुड़ा हुआ कोई अवार्ड दिया होता तो उस पर सवाल नहीं उठते लेकिन यहां पर तो शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को जिस तरह से सम्मान दिया उस पर तो सवाल पूछे ही जाएंगे.

इस सबके बीच शरद पवार गुट के सांसद भास्कर भागरे ने संजय रावत समेत शिवसेना गुटके नेताओं द्वारा उठाए जा रहे हैं. सवालों और आरोपों का यह कहते हुए जवाब दिया कि हर चीज को राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहिए. शरद पवार ने जिस कार्यक्रम में एकनाथ शिंदे को सम्मानित किया वह एक गैर सरकारी संस्था का कार्यक्रम था और शरद पवार महाराष्ट्र ही नहीं देश की राजनीति के एक बड़े नेता हैं. ऐसे में अगर शरद पवार ने एक कार्यक्रम में एकनाथ शिंदे को सम्मानित किया भी तो उस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

 

लेकिन कुल मिलाकर शरद पवार ने जिस तरह से एकनाथ शिंदे को सम्मान दिया उसको लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना उद्धव गुट और शरद पवार के नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप और सवाल जवाब का सिलसिला शुरू हो चुका है.

यह दोनों वो राजनीतिक दल हैं जिन्होंने पिछले 1 साल के दौरान लोकसभा चुनाव और उसके बाद संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और यह दोनों ही वह पार्टियां हैं जिनमें से एक बड़ा हिस्सा निकलकर बीजेपी के साथ चुनाव लड़कर फिलहाल महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिल है.

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