देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट बैठक से पहले गुस्से में निकले महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल, क्यों हैं नाराज?
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे का अनशन भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन मुश्किलें खत्म नहीं हुई है. बुधवार को मंत्री छगन भुजबल नाराज हो गए और कैबिनेट की बैठक से पहले ही कमरे से निकल गए.

महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार की पार्टी एनसीपी के नेता और मंत्री छगन भुजबल बुधवार (3 सितंबर) को कैबिनेट मीटिंग से पहले ही निकल गए. सूत्रों के मुताबिक, मराठा आरक्षण के मुद्दे पर छगन भुजबल नाराज हैं. कैबिनेट मीटिंग से पहले छगन भुजबल गुस्से में हैं.
भुजबल बांद्रा के MET (शिक्षा संस्थान, जिसमें ट्रस्टी हैं ) रवाना हुए. इससे पहले मंगलवार (2 सितंबर) को भुजबल ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मराठाओं को आरक्षण देने के लिए ओबीसी समुदायों के मौजूदा आरक्षण में कोई छेड़छाड़ की गई तो भारी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे.
क्या है छगन भुजबल का दावा?
भुजबल ने सोमवार (एक सितंबर) को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक में आरक्षण सुरक्षित रखने की रूपरेखा पर चर्चा की.
मराठाओं को ओबीसी का दर्जा दिए जाने का विरोध करते हुए वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल ने दावा किया कि महाराष्ट्र में 374 समुदायों के लिए केवल 17 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध है. ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटे के लाभार्थियों में 8 प्रतिशत लोग मराठा समुदाय से हैं.
उन्होंने कहा, "जरांगे के नेतृत्व में आंदोलन अपनी दिशा खो चुका है. यह दावा करना कि मराठा और कुनबी एक ही हैं, मूर्खता है. हाई कोर्ट ने भी ऐसा ही कहा था." यह बयान उन्होंने मनोज जरांगे पर कटाक्ष करते हुए दिया. जरांगे मराठाओं को कुनबी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं.
छगन भुजबल ने कहा कि वह देवेंद्र फडणवीस सरकार की ओर से जारी उस सरकारी आदेश (जीआर) का अध्ययन कर रहे हैं, जिसके तहत जिन मराठा समुदाय के लोगों के पास संबंधित दस्तावेज हैं, उन्हें कुनबी जाति के प्रमाणपत्र दिए जा सकते हैं.
सरकार ने मनोज जरांगे की मांगें मानी
बता दें कि मनोज जरांगे 29 अगस्त को मुंबई के आजाद मैदान पहुंचे और ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए. जरांगे के साथ हजारों की संख्या में भी मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मुंबई पहुंचे. अव्यवस्था को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई.
इस बीच मंगलवार को सरकार के प्रतिनिधियों ने मनोज जरांगे से मुलाकात की और कहा कि सरकार उनकी मांगें मानने को तैयार है और सरकारी आदेश जारी किए जा रहे हैं. इसके बाद जरांगे ने 2 सितंबर को अनशन खत्म कर दिया.
सरकार के दावों के मुताबिक, कुनबी दर्जा मिलने से मराठा समुदाय के सदस्य ओबीसी आरक्षण का दावा करने के पात्र हो जाएंगे, जो जरांगे की प्रमुख मांग है. महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार देर शाम को हैदराबाद गजट पर एक आदेश जारी किया और उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने में मदद के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की जो खुद को कुनबी के रूप में मान्यता देने वाले दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने में सक्षम हों.
सरकारी आदेश (जीआर) में कहा गया, ‘‘ हैदराबाद गजट में निहित ऐतिहासिक संदर्भों के अनुसार दस्तावेजों को सत्यापित करने और कुनबी जाति प्रमाणपत्र के लिए मराठा समुदाय के व्यक्तियों की पात्रता स्थापित करने के लिए एक समर्पित जांच प्रक्रिया अपनायी जाएगी. समिति यह सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक दावे का समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से मूल्यांकन किया जाए.’’
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Source: IOCL






















