Maharashtra News: महाराष्ट्र में मराठी अभ्यास केंद्र की अगुवाई व विभिन्न समविचारी व्यक्तियों और संस्थाओं के सहयोग से अब तीसरी भाषा की अनिवार्यता के विरोध में राज्यव्यापी आंदोलन खड़ा किया जाएगा. यह आंदोलन टप्पे-टप्पे पूरे महाराष्ट्र में चलाया जाएगा.

इस अभियान की अब तक सिर्फ माहौल-निर्मिती चल रही थी, लेकिन अब यह आंदोलन प्रत्यक्ष रूप में शुरू होगा. इसके लिए एक “समन्वय समिति” का गठन किया गया है, जिसकी सदस्य सूची जारी की गई है. तीसरी भाषा की अनिवार्यता के खिलाफ अब राज्यव्यापी आंदोलन होगा. 

समन्वय समिति के सदस्य1. डॉ. दीपक पवार – अध्यक्ष, मराठी अभ्यास केंद्र (निमंत्रक)2. रमेश पानसे – ग्राममंगल3. चिन्मयी सुमीत – मराठी शालाओं की सदिच्छा-दूत4. गिरीश सामंत – शिक्षा विशेषज्ञ व संस्था प्रमुख5. डॉ. प्रकाश परब – भाषाविद6. सुजाता पाटील – प्रयोगशील विद्यालय की मुख्याध्यापिका7. विनोदिनी काळगी – प्रयोगशील विद्यालय की मुख्याध्यापिका8. महेंद्र गणपुले – महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक प्रधानाध्यापक संघ9. रवींद्र फडणवीस – महाराष्ट्र राज्य शिक्षण संस्था महामंडळ10. डॉ. श्रीपाद भालचंद्र जोशी – महाराष्ट्र सांस्कृतिक आघाडी11. कौतिकराव पाटील – मराठवाड़ा साहित्य परिषद12. किशोर दरक – शिक्षणतज्ज्ञ13. सुशील शेजुळे – आम्ही शिक्षक सामाजिक संस्था14. माधव सूर्यवंशी – शिक्षण विकास मंच15. गोवर्धन देशमुख – अध्यक्ष, मराठी एकीकरण समिती16. संदीप कांबळे – अध्यक्ष, युवा शैक्षणिक व सामाजिक न्याय महाराष्ट्र17. प्रसाद गोखले – “मराठी शाळा टिकवल्याच पाहिजेत” फेसबुक समूह18. भाऊसाहेब चासकर – संयोजक, एटीएफ19. प्रथमेश पाटील – पत्रकार20. चंदन तहसीलदार – मराठी बोला चळवळ21. आनंद भंडारे – सचिव राज ठाकरे का विरोधमनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी इस विषय पर सरकार की आलोचना की है. उन्होंने सवाल उठाया: “हिंदी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है. यह भी भारत की अन्य भाषाओं जैसी ही एक भाषा है. तो फिर इसे पहली कक्षा से अनिवार्य क्यों किया जा रहा है? बच्चों को एक साथ तीन भाषाएं क्यों पढ़ाई जा रही हैं? सरकार किस दबाव में ये निर्णय ले रही है?

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