महाराष्ट्र के स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को हिंदी भाषा अनिवार्य करने वाले फैसले पर रोक लगा दी गई है. स्कूल एजुकेशन मिनिस्टर दादा भूसे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी. इसको लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने आक्रामक रुख अपनाया था. सरकार के इस फैसले पर राज ठाकरे की प्रतिक्रिया भी सामने आई है.
महाराष्ट्र में सिर्फ मराठी चलेगी- राज ठाकरे
एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसीव बातचीत में राज ठाकरे ने कहा, "सरकार ने निर्णय लेने से पहले विचार किया होता तो आज निर्णय वापस लेने की स्थिती नहीं आती. लेकिन समय रहते सरकार ने निर्णय वापस लिया इसलिए सरकार का धन्यवाद. मैं एक बार फिर कहना चाहता हूं महाराष्ट्र में दूसरी या तीसरी कोई भाषा नहीं चलेगी. महाराष्ट्र में सिर्फ मराठी ही चलेगी."
राज ठाकरे ने अपना लिया था आक्रामक रुख
दरअसल, हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने क्लास 1 से क्लास 5 तक के बच्चों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर अनिवार्य कर दिया था. सरकार के इस फैसले के बाद ही राज ठाकरे भड़क गए गए थे और उन्होंने मोर्चा खोल दिया था. उन्होंने साफ तौर पर कह दिया था कि हम महाराष्ट्र में ये होने नहीं देंगे.
कांग्रेस ने भी सरकार के फैसले की थी आलोचना
मंत्री दादा भूसे ने मंगलवार को बताया कि सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर एक नया गर्वनमेंट रिजॉल्यूशन (जीआर) जारी किया जाएगा. पिछले हफ्ते सरकार ने हिंदी को अनिवार्य करने वाला फैसला लिया था. राज ठाकरे के अलावा कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी ने भी इस फैसले की आलोचना की थी. कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा था कि हिंदी को थोपना बंद करिए.
विपक्षी दलों के विरोध पर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि किसी भाषा को थोपा नहीं जा रहा है. महाराष्ट्र सरकार के लैंग्वेज कंसलटेशन कमेटी ने सीएम फडणवीस को चिट्ठी लिखकर इस फैसले को वापस लेने की मांग की थी.