Devendra Fadanvis: बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर हमला करते हुए उन पर और उनकी पार्टी पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. साथ ही सांप्रदायिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करने का भी आरोप लगाया. फडणवीस ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए, शरद पवार को "हिंदू आतंक" शब्द का इस्तेमाल करने वाला पहला व्यक्ति बताया. उन्होंने शरद पवार के हालिया बयानों का हवाला दिया, जिसमें पवार ने फिल्म द कश्मीर फाइल्स की आलोचना की थी. फडणवीस ने कहा कि आलोचना पूरी तरह से एनसीपी की तुष्टिकरण की नीति, राजनीति और सांप्रदायिक आधार पर समाज के ध्रुवीकरण के दशक पुराने ट्रैक रिकॉर्ड के ही अनुरूप थी.


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रज़ा अकादमी के प्रति नरमी बरती
फडणवीस ने कहा कि "2012 में, जब महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी सत्ता में थीं, आज़ाद मैदान में शर्मनाक हिंसा मुंबई के बीचों बीच हुई. उन्होंने आरोप लगाया "अमर जवान ज्योति स्मारक को अपवित्र किया गया था, लेकिन एनसीपी जिसके पास गृह विभाग था, उसने रज़ा अकादमी के प्रति नरमी बरती और उसपर कार्रवाई करने की बजाय मुंबई पुलिस कमिश्नर को ही बदल दिया." 


वोट बैंक की राजनीति संवैधानिक मूल्यों पर हावी
फडणवीस ने कहा, "एनसीपी की महाराष्ट्र में मुस्लिम कोटा लाने की बड़ी योजना है, जबकि हमारे संविधान में ऐसा प्रवधान नहीं है. यह शर्मनाक है कि कैसे वोट बैंक की राजनीति संवैधानिक मूल्यों पर हावी है!" पवार के बयान ऐसे हैं जैसे, अल्पसंख्यक तय करते हैं कि किसे हराना है. एनसीपी ने सच्चर समिति की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की थी. 


फडणवीस ने आगे कहा, "12 मार्च, 1993 को, जब मुंबई 12 बम विस्फोटों से हिल गई थी, शरद पवार जी ने एक मुस्लिम एरिया में 13वां विस्फोट खोज लिया था. कानून-व्यवस्था के बजाय तुष्टीकरण उनकी पहली प्राथमिकता थी. जब हम सांप्रदायिक सद्भाव की उम्मीद करते हैं तो ऐसे दोहरे मापदंड क्यों?"


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