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महाराष्ट्र विधानसभा में 'माझी लाडकी बहिन' योजना को लेकर बुधवार (10 दिसंबर) को तीखी बहस हुई. राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि योजना के लाभार्थियों की ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरे राज्य में जारी है और जिन लोगों ने गलत तरीके से लाभ लिया है, उनसे राशि की वसूली की जा रही है.

महाराष्ट्र सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि इस पूरे प्रकरण में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. विपक्ष पर आरोप लगाते हुए उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि विरोधी दल केवल योजना को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि 'माझी लाडकी बहिन' योजना बंद नहीं होगी और सरकार अपने सभी वचनों को समय पर पूरा करेगी. उनके उत्तर के विरोध में विपक्षी सदस्यों ने सदन का बहिष्कार किया.

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मंत्री अदिति तटकरे ने दिए विपक्ष के सवालों के जवाब

इस विषय पर लक्षवेधी सूचना विधायक सुनील प्रभू ने प्रस्तुत की थी. इसके आधार पर जयंत पाटील, भास्कर जाधव और नाना पटोले ने कई पूरक प्रश्न पूछे. जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने बताया कि योजना के अंतर्गत प्राप्त कुल आवेदनों में लगभग 2 करोड़ 43 लाख संभावित लाभार्थी हैं. इनमें से 26 लाख आवेदनों की जांच पूरी की जा चुकी है, जबकि लगभग 4 लाख मामलों की विस्तृत जांच जारी है.

8000 सरकारी कर्मचारियों ने लिया लाभ

अदिति तटकरे ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि करीब 8,000 सरकारी कर्मचारियों ने भी इस योजना का लाभ लिया था, जिनसे अनियमित रूप से प्राप्त राशि की वसूली शुरू है और यह प्रक्रिया अगले दो महीनों में पूरी होने की उम्मीद है. उन्होंने यह भी बताया कि राज्यभर में ई-केवाईसी कार्य तेजी से चल रहा है और इसकी अंतिम तिथि 31 दिसंबर निर्धारित की गई है.

विपक्ष ने सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

इसी दौरान, विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार यह स्पष्ट नहीं कर रही है कि योजना के अंतर्गत बढ़ा हुआ आर्थिक लाभ कब दिया जाएगा और बोगस लाभार्थियों और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी या नहीं. सरकार की ओर से संतोषजनक उत्तर न मिलने का हवाला देते हुए विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए.