Maharashtra Assembly Election Result 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद सभी की नजरें मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसपर टिकी हैं. इसे लेकर बीजेपी नेता देंवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे में पेच फंसा है. इस बीच सूत्रों के अनुसार दावा किया जा रहा है कि बीजेपी की ओर से देवेंद्र फडणवीस का नाम फाइनल हो गया है. इसे लेकर अब विपक्षी भी सवाल उठा रहे हैं और जल्दी नाम के घोषणा की मांग कर रहे हैं.

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इसी कड़ी में शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "अगर देवेंद्र फडणवीस का नाम फाइनल हो गया है तो जल्दी से इसकी घोषणा करें. आप महाराष्ट्र की जनता से किए गए वादों से क्यों वंचित कर रहे हैं, उन्हें क्यों दूर रख रहे हैं और महाराष्ट्र के स्टीयरिंग संकट को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं?"

सत्ता की भूख में महायुति कर रही खींचतान- प्रियंका चतुर्वेदी 

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प्रियंका चतुर्वेदी ने महायुति पर हमला करते हुए कहा, ''बीजेपी 132 सीट लाकर बहुमत के करीब है तो उसे देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने से कौन रोक रहा है. ये लोग सत्ता के इतने भूखे हैं, इसलिए यह खींचतान चल रही है.'' उन्होंने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र की एक रिफाइनरी गुजरात और एक आंध्र प्रदेश जा रही है. शिवसेना यूबीटी की नेत्री ने कहा कि जो हमारे राज्य के लिए रोजगार का माध्यम बनने चाहिए वे दूसरे राज्य जा रहे हैं.

प्रियंका चतुर्वेदी  ने ईवीएम पर उठाए सवाल 

उन्होंने आगे कहा, "महाराष्ट्र हो या हरियाणा, महाराष्ट्र के अखबारों में खबर आ रही है कि 95 सीटों पर डाले गए वोटों और गिने गए वोटों में अंतर है. करीब 76 सीटें ऐसी हैं, जहां कहा जा रहा है कि गिने गए वोटों की संख्या डाले गए वोटों से कम है. 19 सीट ऐसी है जहां वोटिंग से ज्यादा काउंटिंग हुई है. तो सवाल यह है कि क्या ईवीएम का इस्तेमाल वोटों की संख्या में छेड़छाड़ करने और विजेता घोषित करने के लिए किया जा रहा है. यह व्यापक चर्चा का विषय है. इस मुद्दे पर चर्चा करने और इसे सुलझाने के बजाय इसे नकारना चुनाव आयोग की आदत बन गई है."

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह बोलीं प्रियंका चतुर्वेदी 

सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम को लेकर एक पीआईएल खारिज हुई है. इस पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ''लेकिन सुप्रीम कोर्ट को यह मानना पड़ेगा कि जब भी हम निर्वाचन आयोग के पास यह मुद्दा उठाते हैं वह खारिज कर देता है. जनता सवाल उठा रही है और अब तो राजनीतिक पार्टियां भी सवाल उठा रही हैं. जब बीजेपी सत्ता में नहीं थी तो एल के आडवाणी ने ईवीएम पर एक किताब लिखी थी. अगर ईवीएम पर व्यापक चर्चा हुई तो इसकी गड़बड़ियां जनता के सामने आएगी. यह प्रजातंत्र का विषय है और इस पर चर्चा होनी चाहिए.''

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