Maharashtra News: महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां अलग-अलग कारणों से निलंबित किए गए सात शिक्षकों को संग्रामपुर तालुका के विभिन्न स्कूलों में निलंबन अवधि के दौरान मुख्यालय में रहने के आदेश दिए गए थे. जिला परिषद के IAS मुख्य अधिकारियों ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि ये शिक्षक मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे. इसके बावजूद हकीकत यह है कि इनमें से एक भी शिक्षक पूरे साल मुख्यालय में मौजूद नहीं रहा.

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हैरानी की बात यह है कि संग्रामपुर के शिक्षा अधिकारियों ने उनकी अनुपस्थिति के बावजूद पूरे साल का वेतन निकाल दिया. इस मामले से साफ होता है कि किस तरह नियमों को दरकिनार कर जनता के पैसे का दुरुपयोग किया गया.

जनता के पैसे का खुलेआम दुरुपयोग

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इस बीच सस्पेंड सात टीचरों में से रेखा मानकर गंभीर अपराध में आरोपी होने के बावजूद उन्हें संग्रामपुर तालुका के निमखेड़ प्राथमिक विद्यालय को मुख्यालय दिया गया है. हालांकि, पिछले दिसंबर महीने से वह एक भी दिन मुख्यालय में नहीं आई हैं, यह "एबीपी माझा" के कैमरे में कैद हो गया है. इस संबंध में संग्रामपुर पंचायत समिति के शिक्षा अधिकारी दीपक देविदास ताले से पूछताछ करने पर उन्होंने मीडिया को स्वघोषित नियम बताए. इस पंचायत समिति के तहत सात सस्पेंड टीचर मुख्यालय में उपस्थित नहीं हुए और उनके पूरे साल के वेतन निकाले गए, यह भी शिक्षा अधिकारी ताले का एक अजीब जवाब था.

POCSO आरोपी टीचर भी शामिल  

उन्होंने कहा कि सस्पेंड टीचरों को मुख्यालय में उपस्थित रहना अनिवार्य नहीं है और उन्हें वेतन नहीं दिया जाता है, बल्कि निर्वाह भत्ता दिया जाता है. हालांकि, पॉक्सो जैसे गंभीर अपराध में आरोपी टीचर का पिछले एक साल का वेतन मुख्यालय में उपस्थित हुए बिना निकाला गया, जिससे अब शिक्षा अधिकारी मुश्किल में आ गए हैं. क्योंकि उन पर जनता के पैसे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया जा रहा है.