Maharashtra Latest News: महाराष्ट्र में पहली बार सीरियल किलर्स और खतरनाक अपराधियों पर वैज्ञानिक अध्ययन शुरू होने जा रहा है. राज्य सरकार ने ‘क्रिमिनोलॉजी रिसर्च प्रोजेक्ट– RUDRA’ को मंजूरी दी है. यह प्रोजेक्ट अगले 10 सालों तक राज्य की सभी जेलों में लागू रहेगा.
क्या है RUDRA?‘क्रिमिनोलॉजी रिसर्च प्रोजेक्ट– RUDRA’ यानी रिसर्च यूनिट फॉर डिटेक्शन एंड रेसोल्यूशन ऑफ एनोमलीज इन क्रिमिनल्स. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का मकसद गंभीर अपराधों में दोषी ठहराए गए कैदियों की मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों का अध्ययन करना है, जिसके आधार पर आपराधिक जांच की दिशा में नई संभावनाओं को तलाशा जाएगा. इस प्रोजेक्ट का ढांचा अमेरिकी जांच एजेंसी FBI की 'एलीट सीरियल क्राइम यूनिट' के सिद्धांतों पर आधारित होगा.
सीरियल किलर्स के साक्षात्कार की मिली अनुमतिराज्य सरकार द्वारा जारी सरकारी आदेश (GR) के अनुसार, इस अध्ययन के लिए फॉरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अथर्व पंकज देशपांडे और उनकी टीम को सभी केंद्रीय जेलों में कैद गंभीर अपराधियों, विशेष रूप से सीरियल किलिंग और बलात्कार के मामलों में सजा काट रहे कैदियों से साक्षात्कार करने की अनुमति दी गई है.
डॉ. देशपांडे और उनकी टीम ने पहले अमरावती और नागपुर की केंद्रीय जेलों में ऐसे अपराधियों से बातचीत के आधार पर एक अध्ययन किया था. उनकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को प्रस्तुत की गई, जिसमें अपराधियों की मानसिकता, अपराध की प्रवृत्ति और पूछताछ तकनीकों को लेकर महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आए. इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने राज्यभर में यह शोध कार्य विस्तारित करने का निर्णय लिया.
सरकार द्वारा जारी आदेश में यह भी कहा गया कि 7 मई को इस प्रोजेक्ट को लेकर एक समझौता हुआ है, जिसकी सभी शर्तें दोनों पक्षों पर बाध्यकारी होंगी. इस शोध कार्य को ‘जर्नल ऑफ फॉरेंसिक मेडिसिन साइंस एंड लॉ’ में प्रकाशन की स्वीकृति भी मिल चुकी है, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने की संभावना है. सरकार ने डॉ. देशपांडे और उनकी टीम के सदस्यों को सभी जेलों में प्रवेश के लिए पहचान पत्र जारी करने का निर्णय लिया है और जेल अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे शोध कार्य में पूरी तरह सहयोग करें.