Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार डोमेस्टिक वर्कर्स (Domestic Workers) को सामाजिक सुरक्षा से जुड़े लाभ से जोड़ने के लिए एक अभियान की शुरुआत करेंगे. दरअसल, यह असंगठित क्षेत्र (Unorganised Sector) के लोगों तक पहुंच बनाने की एक कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के काम के घंटे तय नहीं होते और न ही कोई निश्चित रोजगार ही होता है. इन कार्यों में अमूमन महिलाएं और विशेषकर दूसरे राज्यों से आए प्रवासी कामगार ही होते हैं. 


महाराष्ट्र में घरेलू कामगार कल्याण मंडल या डोमेस्टिक वर्कर्स वेल्फेयर बोर्ड है जो कि मातृत्व और अंतिम संस्कार समेत विभिन्न कार्यों के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराता है. राज्य में महाराष्ट्र डोमेस्टिक वर्कर्स वेल्फेयर बोर्ड एक्ट 2008 को प्रभावी बनाते हुए इस बोर्ड का गठन किया गया था. 


इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में अनुमान के मुताबिक, महाराष्ट्र में ऐसे कामगारों की संख्या 15 लाख है. इनमें से अधिकांश मुंबई, पुणे, ठाणे और नासिक में रहते हैं. लेकिन केवल 15000 लोग ही बोर्ड से पंजीकृत हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि ऐसे लोगों को इस बोर्ड की जानकारी ही नहीं है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के विकास आयुक्त (असंगठित श्रमिक) ने बताया कि ऐसे लोगों को बोर्ड से जोड़ने के लिए होर्डिंग लगाए जाएंगे, रेडियो और टीवी पर विज्ञापन भी चलाया जाएगा. 


घरेलू कामगारों को दिया जाता है यह लाभ
वहीं, राज्य के श्रम मंत्री सुरेश खाडे का कहना है वे घरेलू कामगारों के बीच बर्तन बांटने का काम करके ऐसे लोगों का पंजीकरण कराएंगे. उन्होंने बताया कि इससे बोर्ड के कार्यों का प्रचार होगा जिससे और घरेलू कामगार खुद को बोर्ड से रजिस्टर कराएंगे. बोर्ड के तहत घरेलू कामगारों को 10 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है. यह राशि तब दी जाती है जब वे 55 वर्ष की आयु पूरी कर लेते हैं. इसके अलावा बोर्ड बच्चे के जन्म पर महिलाओं को 5000 रुपये और रिश्तेदार के अंतिम संस्कार पर दो हजार रुपये की मदद देता है. 


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