विजयादशमी के मौके पर शिवसेना की दशहरा रैली में शिवसेना शिंदे गुट के नेता रामदास कदम ने उद्धव ठाकरे पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का मोह था और उन्होंने बालासाहेब ठाकरे के विचारों को तिरस्कार दिया. कांग्रेस के साथ जाकर उन्होंने शिवसेना को सोनिया गांधी के पैरों में बांध दिया.
'शिवसेना को देखकर आंसू आते हैं'
उन्होंने कहा कि शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के निधन के बाद मातोश्री में उनका पार्थिव शरीर दो दिन तक रखा गया था. डॉक्टरों को पूछो, दो दिन हम मातोश्री के बाहर बेंच पर सोए थे. रामदास कदम ने ये भी कहा कि एक समय था जब शिवसेना का व्यासपीठ सभी पुराने नेताओं से भरा रहता था, लेकिन आज की तस्वीर देखकर आंखों में पानी आ जाता है.
'विरासत को भुलाया जा रहा'
उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना प्रमुख पुष्पगुच्छ न चाहने वाले संवेदनशील नेता थे, लेकिन आज की शिवसेना उनकी विरासत को भुला रही है. सभा में कदम ने यह भी कहा कि हमने शिवसेना को बड़ा किया, और आज वही शिवसेना हमें खत्म कर रही है.
बालासाहेब के विचार ही मेरी असली संपत्ति- एकनाथ शिंदे
वहीं इस दशहरा रैली में शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कहा, "जहां भी गया, मेरे हाथ खाली नहीं रहे. जब देने का समय आया, तो हमने दिया. देने के लिए भी हिम्मत चाहिए. यह 'लेना बैंक' नहीं, बल्कि 'देना बैक' है. हमने कितनी ही योजनाएं दी हैं. हमने दोनों हाथों से दिया है. कभी यह नहीं कहा कि मेरे हाथ में कुछ नहीं है. मेरे दो हाथ ही नहीं, सामने बैठे ये शिवसैनिकों के हाथ भी मेरे ही हैं. यह मंच और ये शिवसैनिक ही मेरी असली संपत्ति हैं. संपत्ति का भूखा मैं नहीं हूं. बालासाहेब के विचार ही मेरी असली संपत्ति हैं."
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सहायता निधि से उन्होंने ढाई करोड़ रुपये दिए. जबकि मैंने साढ़े चार सौ करोड़ रुपये दिए. मेरे पास एक लड़की आई और कहा कि आपने मदद की इसलिए मैं बच गई. मैंने जो मदद दी, वह धर्म या जात देखकर नहीं दी. वह लड़की मुस्लिम समाज की थी.