केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया है. बुधवार (30 अप्रैल) को कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा की. मोदी सरकार के इस फैसले पर शरद पवार गुट की प्रतिक्रिया सामने आई है. शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि सरकार को आखिर में समझ आ गया. उन्होंने कहा कि ये विपक्ष की तरफ से बनाए गए दबाव की जीत है.

'जिसकी जितनी संख्या भारी उतनी उसकी जिम्मेदारी'

जितेंद्र आव्हाड ने कहा" हम जैसे अनेक कार्यकर्ताओं की लड़ाई के सामने केंद्र सरकार को पीछे हटना पड़ा. जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी जिम्मेदारी." बता दें कि केंद्र की सरकार ने जातीय जनगणना का फैसला ऐसे समय में लिया है जब बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं.

केंद्रीय मंत्री अश्विणी वैष्णव ने क्या कहा?

मोदी सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया. आजादी के बाद से जनगणना में जाति को शामिल नहीं किया गया. 2010 में तब के प्रधानमंत्री दिवंगत मनमोहन सिंह ने आश्वस्त किया था कि जाति जनगणना के विषय पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा. ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का भी गठन किया गया था. ज्यादातर राजनीति दलों ने जातिगत जनगणना की सिफारिश की थी. लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस ने जातीय जनगणना की बजाय जातीय सर्वे कराने का फैसला किया."

कांग्रेस ने पॉलिटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल किया- अश्विनी वैष्णव

इसके आगे उन्होंने कहा, "कांग्रेस और उनके सहयोगियों ने जातीय जनगणना का इस्तेमाल सिर्फ एक पॉलिटिकल टूल के रूप में किया...भारत के संविधान के मुताबिक जनगणना केंद्र का विषय है. कुछ राज्यों ने जातीय सर्वे किया है. कुछ राज्यों ने इसे सही तरीके से किया लेकिन कुछ ने ये सर्वे सिर्फ राजनीतिक एंगल से बिना पारदर्शिता के किया. इस तरह के सर्वे ने समाज में संदेह पैदा किया."