Caste Census News: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत करता हूं और समर्थन करता हूं. 60 साल आपकी सरकार थी, आपको ये निर्णय लेने से किसने रोका था. देश को आजादी मिलने के बाद आप क्यों चुप थे, क्योंकि आपको वोट की राजनीति करनी थी."
एकनाथ शिंदे ने आगे कहा, "आपने कहा गरीबी हटाओ, गरीबी तो हटी नहीं, लेकिन गरीब हट गया. वक्फ बोर्ड, ट्रिपल तलाक और 370 जैसे फैसले लिए. विदेश में जाकर भारत को बदनाम करते हैं, ये कैसी देशभक्ति है. इस निर्णय से सामाजिक न्याय का महाद्वार खुलेगा. शिवसेना इसका समर्थन करती है, शिवसेना वोटों की राजनीति नहीं करती. ये आजादी के बाद लिया गया सबसे बड़ा फैसला है. हम जो वादा करते हैं, उसे पूरा करते हैं."
शिवसेना प्रमुख ने कहा, "कल का निर्णय सभी देशवासियों के लिए ऐतिहासिक है. जिन लोगों की जातीय जनगणना होगी, उन्हें पूरा न्याय मिलेगा. जिन लोगों की प्रगति रुक गई है, उन्हें मुख्य धारा में लाने का काम किया जाएगा, जिससे आर्थिक और सामाजिक विषमता दूर हो जाएगी. भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान कहता है कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचना चाहिए, जिसे देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह निर्णय लिया है. शिवसेना इस निर्णय का पूरा स्वागत भी करती है और पूरा समर्थन भी देती है."
जातिगत जनगणना को लेकर क्या बोले अश्विनी वैष्णव?
बता दें कि केंद्र सरकार ने बुधवार को फैसला किया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाएगा. राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की ओर से लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है.
वैष्णव ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों की ओर से शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराया गया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का संकल्प है कि आगामी अखिल भारतीय जनगणना प्रक्रिया में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाएगा. भारत में प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई.