गणेश चतुर्थी से पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज (24 जुलाई) एक अहम फैसला सुनाते हुए छह फीट से ऊंची गणेश मूर्तियों को प्राकृतिक जल स्रोतों जैसे समुद्र में विसर्जित करने की अनुमति दे दी है. वहीं, 6 फीट या उससे कम ऊंचाई की मूर्तियों का विसर्जन अब केवल कृत्रिम जलाशयों में ही किया जाएगा. 

यह आदेश न सिर्फ इस साल के गणेशोत्सव बल्कि अगले साल माघी गणेशोत्सव और दुर्गा पूजा पर भी लागू रहेगा. मूर्ति विसर्जन के अगले ही दिन किनारों की सफाई अनिवार्य रूप से कराने का निर्देश भी कोर्ट ने दिया है.

हाई कोर्ट ने क्यों लिया यह फैसला?

कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति संदीप मर्ने की डिवीजन बेंच ने आदेश पारित किया. राज्य सरकार ने दलील दी थी कि छह फीट से बड़ी मूर्तियों को समुद्र में विसर्जित करने की अनुमति दी जाए ताकि पीओपी से बनी मूर्तियों पर लगी रोक से मूर्तिकारों के रोजगार पर खतरा न हो. हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि केवल 6 फीट से ऊंची सार्वजनिक मूर्तियां ही प्राकृतिक जलस्रोतों में विसर्जित होंगी, बाकी सभी कृत्रिम टैंकों में.

मूर्तियों के विसर्जन को लेकर BMC और राज्य सरकार की भूमिका

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने 2024 में पांच फीट तक की करीब 1.95 लाख गणेश मूर्तियों के लिए 204 टैंक बनाए थे. लेकिन इनमें से केवल 85,000 मूर्तियां ही इन टैंकों में विसर्जित हुईं, बाकी को समुद्र या नदियों में विसर्जित किया गया. राज्य सरकार ने हलफनामे में बताया कि घरेलू गणेश मूर्तियां कृत्रिम तालाबों (Artificial Ponds) में और सार्वजनिक मंडलों की बड़ी मूर्तियां पारंपरिक रूप से समुद्र में विसर्जित की जाएंगी.

कोर्ट का आदेश क्यों है महत्वपूर्ण?

महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है, जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं. इस फैसले से पर्यावरण संरक्षण और पारंपरिक शिल्पकारों के रोजगार दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की गई है. साथ ही, मूर्ति विसर्जन से उत्पन्न प्रदूषण को कम करने के लिए साफ-सफाई को लेकर स्पष्ट निर्देश भी दिए गए हैं.