Beed News: महाराष्ट्र के बीड में जाति भेदभाव को खत्म करने का प्रयास करने के लिए पुलिस ने खास मुहिम शुरू की है. बीड जिले के पुलिसकर्मी अब बिना सरनेम वाला नेमप्लेट लगाएंगे. यह जानकारी एक अधिकारी ने गुरुवार को दी. जिन्होंने बताया कि जिले में पुलिस विभाग के दफ्तरों और पुलिस थानों में लगभग 100 नेमप्लेट बांटे गए हैं.

बीड के एसपी नवनीत कावंट ने जनवरी में अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे एक दूसरे को नाम से बुलाएं और सरनेम से ना बुलाएं ताकि जाति भेदभाव खत्म हो सके. अब एसपी के ऑफिस ने नेमप्लेट बांटें हैं जो सुरक्षाकर्मियों के ऑफिस में टेबल पर लगाए जाएंग जिसमें उनका सरनेम नहीं होगा.

..ताकि किसी जाति और सरनेम से ना हो पहचान

इस फैसले पर एसपी नवनीत का कहना है कि हम पुलिस वालों की कोई जाति नहीं होती और ना ही हमारा कोई धर्म होता है. हम सबके लिए सिर्फ खाकी हैं. उन्होंने साथ ही कहा कि हमने ड्यूटी से जाति हटाने की चुनौति को स्वीकार किया है. इस पहले के अभियान के तहत पुलिसकर्मी एक दूसरे को केवल नाम से बुला रहे हैं. अधिकारी ने बताया कि हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि पुलिस को केवल पुलिस के रूप में पहचाना जाए ना कि उन्हें किसी जाति या सरनेम के आधार पर जाना जाए.

यूनिफॉर्म पर होगा यह बदलाव

अधिकारी ने बताया कि इसके साथ ही पुलिसकर्मी अपने यूनिफॉर्म पर छोटे नेमप्लेट लगाए हैं जो कि वे खुद बनाएंगे. इनमें उनका सरनेम नजर नहीं आएगा. बीड के मासाजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के बाद दिसंबर में नवनीत कवंट की पोस्टिंग हुई है. संतोष देशमुख का अपहरण कर उन्हें प्रताड़ित किया गया था और बाद में हत्या कर दी गई थी. यह घटना 9 दिसंबर 2024 को हुई थी. संतोष देशमुख की हत्या में भी जाति का एंगल आया था. वह मराठा थे. जबकि आरोपियों में ज्यादातर वंजारी समुदाय के हैं जो कि बीड का जनसंख्या बहुल समुदाय है.