Vaccination in Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस के विरूद्ध पूरी तरह टीकाकरण नहीं करवाने वाले लोगों को ट्रेन में सफर करने से रोकना ‘तर्कसंगत’ है. यह सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता एवं न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की बेंच के सामने हो रही थी.

इस मामले को लेकर सरकार के वकील अनिल अंतुरकार ने कहा कि वैसे तो ऐसी पाबंदी संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (डी) के तहत स्वतंत्र रूप से आने-जाने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. लेकिन यह महामारी के मद्देनजर ‘तर्कसंगत’ है. उन्होंने कहा, ‘‘यह नागिरकों के मौलिक अधिकार पर लगाई गई तर्कसंगत पाबंदी है और ऐसी पाबंदी व्यापक जनहित खासकर उनके अपने ही फायदे के लिए लगाई गई है.’’

अगस्त , 2021 में एक अधिसूचना जारी की गयी थी जिसमें उपनगरीय ट्रेनों में यात्रा के वास्ते टीकाकरण प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया. याचिकाकर्ता के वकीलों नीलेश ओझा और तनवीर निजाम ने दलील दी थी कि यह अधिसूचना अवैध, मनमानीपूर्ण एवं समानता एवं स्वतंत्र आवाजाही के अधिकार का उल्लंघन है.

अंतुरकार ने अदालत से कहा, ‘‘महाराष्ट्र ने (महामारी की) पहली लहर के दौरान चिकित्सकीय ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई मौतों से भारी नुकसान उठाया. इसलिए हम इस बार अधिक सावधानी बरतना और मामलों को न्यूनतम करने के लिए यथासंभव एहतियात बरतना चाहते हैं. ’’

उन्होंने कहा कि वैसे तो टीकाकरण से पूर्ण प्रतिरक्षा की गारंटी नहीं मिल सकती है लेकिन यह अस्पताल में भर्ती एवं मौत को रोकने की दिशा में एक कदम है, इसलिए किसी भी अतिरेक आकस्मिक स्थिति से बचने के लिए ट्रेन में यात्रा पार पाबंदी लगायी गयी है.

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि इस महामारी से निपटने की केंद्र सरकार की ‘राष्ट्रीय योजना’ में टीकाकृत एवं गैर टीकाकृत जैसा कोई भेदभाव नहीं है. राज्य सरकार ने इस बात से इनकार किया कि ट्रेन यात्रा पर पाबंदी कोई भेदभाव है.  

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