बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला का हिजाब हटाने की कोशिश पर AIMIM ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. AIMIM नेता वारिस पठान ने संविधान का हवाला देते हुए इसकी घोर निंदा की है और बिहार में लड़कियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने कहा कि भारत कोई हिंदू राष्ट्र नहीं है, यह देश संविधान से चलता है और यहां हर नागरिक को अपने धर्म और पहनावे की स्वतंत्रता है. इस घटना को महिलाओं के सम्मान से जुड़ा गंभीर मुद्दा बताते हुए उन्होंने बिना शर्त माफी की मांग की है.
एक बाप को भी ऐसा करने का हक नहीं- वारिस पठान
AIMIM नेता वारिस पठान ने कहा कि भारत सबका देश है और यहां किसी को भी किसी महिला के बुर्का या हिजाब पर हाथ डालने का अधिकार नहीं है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि एक सगे बाप को भी ऐसा करने का हक नहीं है, फिर मुख्यमंत्री ऐसा कैसे कर सकते हैं. उनके अनुसार, दूसरे देशों में क्या हो रहा है उससे भारत का कोई लेना देना नहीं है, देश को अपने संविधान और कानून के अनुसार चलना चाहिए.
संविधान और सुप्रीम कोर्ट का हवाला
वारिस पठान ने कहा कि भारतीय संविधान का आर्टिकल 25 हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देता है और आर्टिकल 19 व्यक्ति की पसंद की आजादी की गारंटी देता है. उन्होंने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट भी इस विषय पर स्पष्ट राय दे चुका है. इसके बावजूद संविधान और न्यायपालिका के फैसलों की अनदेखी की जा रही है, जो बेहद चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि हिजाब और बुर्का महिलाओं की इज्जत, गरिमा और सम्मान का प्रतीक हैं और इन्हें जबरन हटाना अपमान है.
हिजाबी बेटियां सुरक्षित नहीं- वारिस पठान
वारिस पठान ने एएनआई को दिए बयान में कहा, "हमें आज पता चला कि वो जो डॉ नुसरत थी जो सर्टिफिकेट लेने गई थी उन्होंने कहा कि मुझे जॉब नहीं करना मैं कोलकता चली जाउंगी, मुझे नहीं रहना बिहार में, तो क्या सरकार 10 हजार रुपये डाल रही थी अकाउंट में वो इस लिए डाल रही थी क्या? जिस राज्य में हमारी हिजाबी बेटियां सुरक्षित नहीं है उसमें क्या करेंगे लोग, कल को कोई भी आते जाते रास्ते पर यही हरकत करेगा. क्या उदाहरण सेट कर रहे हैं नीतीश कुमार? इस लिए हमने कहा है कि नीतीश कुमार को पूरे देश की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए."