महाराष्ट्र में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. आध्यात्मिक आघाडी के प्रमुख आचार्य तुषार भोसले ने कहा है कि राज्य के सभी मदरसों में वंदे मातरम् का गान अनिवार्य किया जाना चाहिए. उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि जिन मदरसों में वंदे मातरम् नहीं गाया जाता, उनका सरकारी फंड तुरंत बंद किया जाए. इस बयान के बाद राज्य की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो सकता है.
आचार्य तुषार भोसले का बयान
आचार्य तुषार भोसले ने कहा कि वंदे मातरम् हमारे राष्ट्र की आत्मा है और हर भारतीय को इसका सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की कुछ स्कूलों में वंदे मातरम् गाने पर कुछ लोगों ने विरोध जताया है, जो राष्ट्र के गौरव के खिलाफ है. भोसले के अनुसार, “स्कूल हमारे, देश हमारा, छात्र हमारे और सरकार भी हमारी है... फिर विरोध कौन कर रहा है? ऐसे लोग कौन हैं जो भारत में रहकर भी देशभक्ति से परहेज करते हैं?”
इस देश में रहना है तो वंदे मातरम् गाना होगा- आचार्य तुषार भोसले
भोसले ने अपने बयान में तीखा रुख अपनाते हुए कहा, “जो इस देश में रहना चाहता है, उसे वंदे मातरम् गाना ही होगा.” उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से अपील की कि राज्य में जितने भी मदरसे संचालित हो रहे हैं, उनमें राष्ट्रगीत का गान हर दिन अनिवार्य किया जाए. भोसले ने यह भी कहा कि जो मदरसे इस आदेश का पालन नहीं करेंगे, उनका सरकारी फंड तुरंत रोका जाना चाहिए.
विवाद के राजनीतिक मायने
भोसले के इस बयान ने महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मचा दी है. विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश बताया है, जबकि भोसले के समर्थक इसे राष्ट्रीय सम्मान की पहल करार दे रहे हैं. इससे पहले भी महाराष्ट्र में राष्ट्रगीत को लेकर विवाद उठ चुके हैं, लेकिन इस बार मदरसों को लेकर दिया गया बयान नई बहस का कारण बन गया है. अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या वाकई मदरसों में वंदे मातरम् अनिवार्य करने का आदेश जारी होता है या नहीं.