Goodbye 2023: साल 2023 में भारत ने जो महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की, उसमें चंद्रयान मिशन की सफलता को टॉप में रखा जा सकता है. इस मिशन की सफलता में सैकड़ों वैज्ञानिकों की अथक मेहनत शामिल थी. चंद्रयान-3 की लैंडिंग के साथ ही मध्य प्रदेश के भी तीन युवा वैज्ञानिक इसरो के इतिहास का हिस्सा बन गए.

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दरअसल,साल 2023 मध्य प्रदेश के युवा वैज्ञानिकों के लिए गर्व करने वाला रहा है. इस दौरान सतना जिले के ओम प्रकाश पांडे, बालाघाट के जिले महेंद्र ठाकुर और रीवा जिले के तरुण सिंह चंद्रयान-3 के गौरवशाली मिशन में शामिल थे. इन तीनों के पास चंद्रयान-3 की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी, जिसको उन्होंने बखूबी निभाया है. आइए इन तीनों युवाओं के योगदान की कहानी जानते हैं.

महेंद्र ठाकरे वेकल टीम प्रोजेक्ट मैंनेजर

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मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले को महेंद्र ठाकरे ने गर्व से भर दिया. बिरसा तहसील में छोटे-से गांव कैंडाटोला के रहने वाले महेंद्र ठाकरे चंद्रयान-3 मिशन में वेकल टीम के प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई. यह टीम 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 की लॉचिंग में शामिल रही. महेंद्र की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में ही हुई थी. इसके बाद उन्होंने रायपुर के साइंस कालेज में ग्रेजुएशन किया.बाद में महेंद्र ने दिल्ली आईआईटी से उच्च शिक्षा हासिल की. महेंद्र का दिल्ली आईआईटी से ही इसरो के लिए कैंपस प्लेसमेंट हुआ था.

तरुण सिंह को पेलोड क्वालिटी इंश्योरेंस का जिम्मा

रीवा निवासी तरुण सिंह की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव में हुई. बाद में उन्होंने रीवा के सैनिक स्कूल से 12वीं करने के बाद एसजीएस आइटीएस इंदौर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद ही तरुण भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो से जुड़ गए. चंद्रयान-3 मिशन में तरुण ने पेलोड क्वालिटी इंश्योरेंस की जिम्मेदारी संभाली थी. यह सैटेलाइट कैमरा है,जो चंद्रमा की तस्वीरें लेकर डाटा कोड में भेजता है.

ओम प्रकाश चंद्रयान के परिक्रमा पथ पर थे तैनात

सतना जिले के छोटे से गांव करसरा के युवा वैज्ञानिक ओम प्रकाश पांडेय ने चंद्रयान-3 के परिक्रमा पथ पर नजर बनाए रखी थी. उन्होंने इंदौर में मास्टर्स की पढ़ाई करने के इसरो को ज्वाइन किया था. 5 साल के छोटे से करियर में ओम प्रकाश ने बड़ी उपल्ब्धि हासिल की है. ओम प्रकाश जिस टीम का हिस्सा थे,उसका काम चंद्रमा के परिक्रमा पथ को बड़ा करने के साथ उसकी निगरानी करने का था.

बता दें कि चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया तीसरा भारतीय चंद्र मिशन है.

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