Ujjain Mahakal News: देवउठनी ग्यारस और वैकुंठ चतुर्दशी के बीच भगवान महाकाल का भस्म आरती में अद्भुत श्रंगार किया गया. भगवान महाकाल के मस्तक पर विष्णु तिलक दिखाई दिया तो भगवान श्री गणेश के रूप में उन्होंने भक्तों को दर्शन दिए. इस प्रकार की अद्भुत दर्शन वर्ष भर में एक बार ही देखने को मिलते हैं.
भांग से सजाए जाते हैं महाकालमहाकालेश्वर के दरबार में कल सुबह होने वाली भस्म आरती के पहले भगवान महाकाल को भांग, सूखे मेवे, अभीर, गुलाल, चंदन आदि से शृंगारित किया जाता है. महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी राम गुरु बताते हैं कि भगवान महाकाल के दरबार में पट खुलने के बाद उन्हें दूध, दही, शहद, शक्कर आदि से स्नान कराया जाता है, जिसके बाद भगवान महाकाल को भांग से सजाया जाता है.
महाकाल के साथ विष्णु और गणेश का भी आशीर्वादइसके बाद उनकी भस्म आरती होती है. महाकालेश्वर मंदिर की महेश पुजारी के मुताबिक बुधवार को भगवान महाकाल के मस्तक पर विष्णु तिलक दिखाई दिया, जबकि उनका भगवान श्री गणेश के रूप में शृंगार किया गया. देवउठनी ग्यारस से वैकुंठ चतुर्दशी के बीच इस प्रकार का शृंगार होता है. बुधवार को भस्म आरती में शामिल हुआ भक्तों को भगवान शिव के साथ विष्णु और श्री गणेश का भी आशीर्वाद मिला है.
बैकुंठ चतुर्दशी पर होता है शिव और विष्णु का मिलन14 नवंबर वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव और विष्णु का अदभुत मिलन होता है. महाकालेश्वर मंदिर के महेश पुजारी बताते हैं कि भगवान विष्णु को तुलसी की माला चढ़ाई जाती है और भगवान शिव को बेलपत्र की माला पहनाई जाती है, मगर वैकुंठ चतुर्दशी पर ठीक उल्टा होता है. भगवान शिव तुलसी की माला ग्रहण करते हैं जबकि भगवान विष्णु को बेलपत्र की माला पहनाई जाती है.
सृष्टि का भार अब भगवान विष्णु के पासऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु को भगवान शिव सृष्टि का भार सौंपते हैं. बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान महाकाल की सवारी भी निकलती है. गोपाल मंदिर पर भगवान शिव और विष्णु का अद्भुत मिलन होता है.
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