Panchkroshi Yatra: भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में भीषण गर्मी के बीच पंचक्रोशी यात्रा (Panchkroshi Yatra) की आज से शुरुआत हो गई है. 5 तीर्थों की 118 किलोमीटर लंबी पंचक्रोशी यात्रा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. पांच दिनों तक चलनेवाली पंचक्रोशी यात्रा का समापन 30 अप्रैल को होगा. श्रद्धालुओं को सुविधा मुहैया कराने में सरकार के साथ-साथ आम लोगों ने भी काफी सहयोग किया है. 

वैशाख में प्राचीन काल से पंचक्रोशी यात्रा की है मान्यता

उज्जैन में वैशाख माह के दौरान प्राचीन काल से ही पंचक्रोशी यात्रा चलती आ रही है. इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. कोरोना की वजह से पिछले 2 सालों से यात्रा पर प्रतिबंध लगा था लेकिन इस बार कोरोना का प्रकोप कम होने के साथ ही यात्रा को शुरू कर दिया गया. पंचक्रोशी यात्रा में मध्य प्रदेश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. पंडित जगतगुरु के मुताबिक पंचक्रोशी यात्रा करने से चारों धाम की तीर्थ यात्रा का पुण्य फल प्राप्त होता है.

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118 किलोमीटर लंबी यात्रा में शामिल होते हैं श्रद्धालु

118 किलोमीटर लंबी यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु घर से भोजन बनाने का कच्चा सामान लेकर निकलते हैं. हालांकि दूसरे लोग भई भोजन सहित अन्य अल्पाहार की व्यवस्था करते हैं. लेकिन पांच दिनों की यात्रा कठिन परिश्रम के साथ पूर्ण होती है. 5 दिनों तक चलनी वाली यात्रा में श्रद्धालु पिंगलेश्वर, दूर्धेश्वर, नागचंद्रेश्वर सहित अन्य मंदिरों पर शीश नवाकर भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं. यात्रा के दौरान भगवान से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

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पंचक्रोशी यात्रा का स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में भी उल्लेख मिलता है. पंचक्रोशी यात्रा के मद्देनजर मध्य प्रदेश सरकार भी व्यापक पैमाने पर तैयारी करती है. श्रद्धालु रामनारायण एक दशक से यात्रा में शामिल हो रहे हैं. इस बार पंचकोशी यात्रा में 50000 से ज्यादा श्रद्धालु निकले हैं. 118 किलोमीटर लंबी यात्रा को 5 दिनों में पूर्ण किया जाता है. श्रद्धालु प्रतिदिन 20 किलोमीटर की यात्रा तय करते हैं. भीषण गर्मी में भी यात्रा हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी हुई है. यात्रा में हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है. सिंहस्थ महापर्व के दौरान होने वाली पंचक्रोशी यात्रा में 200000 से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए थे.