Online Gambling: ऑनलाइन गैंबलिंग पर मध्य प्रदेश सरकार की ओर से कानून न बनाने से जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है. मंगलवार को इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पता चला कि हाईकोर्ट में वादा करने के बावजूद राज्य सरकार ने ऑनलाइन गैंबलिंग पर अंकुश लगाने के कानून का अभी तक ड्राफ्ट ही तैयार नहीं किया है.सरकार यह भी नहीं बता पाई कि इससे जुड़ा बिल विधानसभा में विचार के लिए कब लाया जाएगा. अदालत ने अधिकारियों से सात दिन में जवाब मांगा है.


क्या कहा है हाई कोर्ट ने


कोर्ट ने सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की.हाई कोर्ट ने सरकार के उस आवेदन को खारिज कर दिया,जिसमें पूर्व में तीन माह की समय- सीमा दिए जाने का आदेश वापस लेने की मांग की गई थी.कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता ने बताया था कि ऑनलाइन गैंबलिंग पर अंकुश लगाने कानून बनाने राज्य के वरिष्ठ सचिवों की कमेटी विचार कर रही है.यह भी कहा था कि कानून का खाका तैयार करने तीन माह का समय लगेगा और उसके बाद विधानसभा में अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा.


जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने प्रमुख सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को निर्देश दिए कि अगले सात दिन के भीतर कमेटी की ओर से तैयार ड्राफ्ट पेश करें.इसके साथ ही अधिकारी यह भी बताएं कि यह बिल विधानसभा में बहस और वोटिंग के लिए कब रखा जाएगा.कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि आगामी सुनवाई तक उक्त अधिकारियों ने हलफनामा पेश नहीं किया तो उन्हें व्यक्तिगत हाजिरी के लिए आदेश देने बाध्य हो जाएंगे.इस मामले पर अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी.


हाई कोर्ट ने क्यों दिया था आदेश


यहां बता दें कि कोर्ट ने अगस्त 2022 को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि ऑनलाइन गैंबलिंग पर अंकुश लगाने जरूरी कदम उठाएं.कोर्ट ने कहा था कि ऑनलाइन गैंबलिंग से देश के युवाओं का आर्थिक,मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बड़े स्तर पर प्रभावित हो रहा है.इस मामले में ठोस निर्णय लेने में अब अधिक समय इंतजार नहीं किया जा सकता.


दरअसल,एमपी के सिंगरौली जिले के सनत कुमार जयसवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया था.सनत कुमार जायसवाल पर आरोप था कि उसने अपने नाना के खाते से साढ़े आठ लाख 51 हजार रुपये की राशि निकाली थी.इस रकम को उसने आईपीएल के सट्टे में लगाकर बर्बाद कर दिया.केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने कोर्ट को बताया कि गैंबलिंग एक्ट राज्य की सूची का विषय है. इसके बाद राज्य सरकार ने अंडरटेकिंग हाई कोर्ट में पेश की.इसके बाद राज्य सरकार ने तीन माह में कानून का मसौदा बनाने की बात कही थी.


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