MP News: 9 महीनों तक देश-विदेश के लाखों पर्यटकों को खुश करने वाले मध्यप्रदेश के टाइगर अब 3 महीने आराम करेंगे. मानसून सीजन में प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व आज 1 जुलाई से पर्यटकों के लिए बंद कर दिए गए हैं. टाइगर रिज़र्व में अब जंगल सफारी का मजा 1 अक्टूबर से मिलेगा. हालांकि इन तीन महीनों में टाइगर रिज़र्व के बफर इलाके में टूरिज्म एक्टिविटी चलती रहेगी.
सूत्रों का कहना है कि साल 2023 में अभी तक मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व में तीन लाख से अधिक पर्यटक आ चुके हैं. नया पर्यटन सीजन 1 अक्टूबर से शुरू होगा तो पर्यटकों की आमद का नया कीर्तिमान स्थापित हो सकता है.
विंटर सीजन में पर्यटकों को एंट्री मिलेगीजानकारी के लिए बताते चलें कि मध्य प्रदेश में आज शनिवार (एक जुलाई) से सभी 6 टाइगर रिज़र्व कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा और संजय गांधी, दुबरी में अगले तीन महीने के लिए पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लग जाएगी. इस दौरान जंगल सफारी बंद रहेगी. अब एक अक्टूबर से विंटर सीजन में नेशनल पार्कों के अंदर पर्यटकों को एंट्री मिलेगी. बता दें कि भारत में 50 साल पहले 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी. शुरुआत में देश में नौ टाइगर रिजर्व थे, इसमें मध्य प्रदेश का भी एक कान्हा रिजर्व शामिल था. आज अकेले मध्यप्रदेश में ही छह टाइगर रिजर्व हैं. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ रिजर्व में हैं. यहां बाघों की संख्या 220 है. यहां 700 से अधिक बाघ हैं
बता दें कि मध्य प्रदेश में आधा दर्जन टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें बांधवगढ़, कान्हा, पन्ना, पेंच, संजय और सतपुड़ा शामिल हैं. बांधवगढ़ में 31 बाघों की क्षमता है, जबकि बांधवगढ़ में वर्तमान में 220 बाघ हैं. इसी तरह कान्हा में 41 की क्षमता लेकिन 200 के करीब बाघ हैं. पन्ना में 32 की क्षमता, 83 बाघ, पेंच में 24 की क्षमता 129 बाघ हैं, संजय में 34 की क्षमता और यहां 35 बाघ हैं. इसी तरह सतपुड़ा में 43 बाघों की क्षमता है, जबकि यहां 90 बाघ हैं. कुल मिलाकर मध्य प्रदेश में 205 बाघ की क्षमता है, जबकि यहां 700 से अधिक बाघ हैं.