Jabalpur News: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल  (एनजीटी) ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि उसने जबलपुर के शहरी क्षेत्र में संचालित डेयरियों को हटाने में अब तक क्या कदम उठाये है. मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए एनजीटी ने 4 सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि प्राइवेट दूध डेयरियों के कारण जबलपुर में न केवल नर्मदा नदी में प्रदूषण फैल रही है बल्कि इलाके के लोग भी इससे परेशान है. आम लोगों को डेयरियों से निकलने वाली गंदगी के कारण कई तरह की बीमारियों का प्रकोप भी झेलना पड़ता है.

450 से ज्यादा डेयरियां अवैधबता दें कि मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी कहीं जाने वाली नर्मदा नदी को जबलपुर का डेयरी उद्योग प्रदूषित कर रहा है. जबलपुर की शहरी सीमा में 450 से ज्यादा डेयरियां अवैध ढंग से संचालित हो रही है. इनके खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (भोपाल) में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की गई है. यह याचिका जन सरोकार वाले संगठन नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉक्टर पी जी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से दायर की गई है.

याचिका की मांगयाचिका में जबलपुर शहर में संचालित हो रही अवैध डेयरियों को शिफ्ट करने के एनजीटी के पूर्व के आदेश को अमली जामा पहनाने की मांग की गई है. इसके पूर्व याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रभात यादव ने बताया कि 2020 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, भोपाल द्वारा प्रदेश सरकार को निर्देशित किया गया था कि शहरी क्षेत्र में संचालित तमाम डेयरियों को नगर निगम सीमा से बाहर शिफ्ट किया जाए, क्योंकि डेयरियो से निकलने वाला अपशिष्ट खुले में फेंका जा रहा है.

अगली सुनवाई जनवरी मेंइससे मलेरिया, डेंगू के साथ कई संक्रामक बीमारियां भी पैर पसार रही हैं. इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी के जस्टिस शिवकुमार सिंह और एक्सपर्ट मेम्बर अरुण कुमार ने सख्त लहजे में सरकार से जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं क्योंकि अब तक जबलपुर जिले से एक भी डेरी को शिफ्ट करने कोई कार्यवाही नहीं की गई है . मामले पर अगली सुनवाई जनवरी 2022 में की जाएगी.

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