राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की साल 2023 की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय के खिलाफ अपराध के मामलों में मामूली कमी आई है. इस मामले में एमपी, मणिपुर के बाद देश भर में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है.
एनसीआरबी की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में साल 2023 में आदिवासी समुदाय के खिलाफ अपराध के कुल 2,858 मामले दर्ज किए गए हैं. साल 2022 की रिपोर्ट में यह संख्या 2979 थी जबकि 2021 में यह आंकड़ा 2627 था.
राष्ट्रीय स्तर पर बढ़े अपराध
एनसीआरबी की पिछली यानी साल 2022 की रिपोर्ट के मुकाबले मध्य प्रदेश में जहां आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामले में मामूली (121 मामले) कमी आई है, वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह संख्या बढ़ी है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में देश भर में आदिवासी समुदाय के खिलाफ अपराध के जहां 10,055 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2023 की रिपोर्ट में इसकी संख्या बढ़कर 12,954 हो गई है.
साल 2022 में, मध्य प्रदेश में देश में अनुसूचित जनजाति के खिलाफ सबसे अधिक 2,979 मामले दर्ज किए गए थे. इसके बाद राजस्थान (2,521 मामले) और तेलंगाना (545 मामले) थे. ताजा आंकड़ों में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध के मामले में पहले नंबर पर मणिपुर है, जहां इस श्रेणी में सबसे अधिक 3,399 मामले दर्ज किए गए हैं. राजस्थान इस मामले में तीसरे स्थान पर रहा, जहां 2,453 मामले दर्ज किए गए.
जनजातीय समुदाय के खिलाफ अपराध की दर 18.7 फीसदी
ज्ञात हो कि मई 2023 में मणिपुर में उस समय हिंसा भड़क उठी थी जब राज्य में कुकी और मैतेई समुदायों के लोग आपस में भिड़ गए थे. इस जातीय हिंसा में कई लोगों की जान गई. यह हिंसा मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने को लेकर फैली थी. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की सर्वाधिक आबादी है.
एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में जनजातीय समुदाय के खिलाफ अपराध की दर प्रति लाख आबादी पर 18.7 प्रतिशत रही जबकि चार्जशीट दाखिल करने की दर 98.4 प्रतिशत रही. इन आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं की गरिमा भंग करने के इरादे से हमला करने के 309 मामले आए. इनमें 163 वयस्क और शेष नाबालिग थीं.
कांग्रेस ने सदन में उठाई बात
मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने आदिवासियों के अपराध के मामलों के लिए राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार पर निशाना साधा और कहा कि राज्य आदिवासियों के साथ अन्याय का सबसे बड़ा गवाह बना है.
उमंग सिंघार ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘देशभर की तरह मध्य प्रदेश में भी आदिवासी समाज अन्याय का सामना कर रहा है. यहां उनकी जमीनें छीनी जाती हैं, जंगल और संसाधनों पर उनका हक़ छीन लिया जाता है. जब वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं, तो सरकार दमन और डर का सहारा लेती है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की पीड़ा और संघर्ष की सच्चाई है. हम इस लड़ाई में आदिवासी भाइयों-बहनों के साथ खड़े हैं.’’ आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामले में मध्य प्रदेश जहां शीर्ष पर है, वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में वह उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद पांचवें स्थान पर है.
यूपी में सबसे अधिक मामले
एनसीआरबी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 66,381 मामले दर्ज किए गए, उसके बाद महाराष्ट्र में 47,101, राजस्थान में 45,450, पश्चिम बंगाल में 34,691 और मध्य प्रदेश में 32,342 मामले दर्ज किए गए.
आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश देशभर में तीसरे स्थान पर रहा. आत्महत्या के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र (22,687) में दर्ज किए गए, इसके बाद तमिलनाडु में 19,483 और मध्य प्रदेश में 15,662. एनसीआरबी के मुताबिक देश में 2023 के दौरान आत्महत्या के 1,71418 मामले सामने आए जो 2022 की तुलना में 0.3 प्रतिशत की वृद्धि है. एनसीआरबी के मुताबिक पारिवारिक समस्याएं और बीमारी इसके दो मुख्य कारण रहें.