MP News: मध्य प्रदेश की मौजूदा सरकार ने आखिरकार आबकारी नीति में बदलाव करते हुए मध्य प्रदेश के 17 पवित्र स्थान पर शराबबंदी का ऐलान कर दिया है लेकिन इस ऐलान करने में बीजेपी सरकार को 7 साल का वक्त लग गया. 7 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शराबबंदी के संकेत देते हुए मंच से ऐलान किया था लेकिन डॉक्टर मोहन यादव सरकार में यह वादा पूरा हुआ है.

मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार की कैबिनेट ने फैसला लिया है जिसमें एक नगर निगम, 6 नगर पालिका, 6 नगर परिषद, 6 ग्राम पंचायत की सीमा के 17 शहर पर में पूर्णत: शराबबंदी का फैसला लिया है. अब भविष्य में भी यहां पर शराब की दुकान नहीं खुल पाएगी. हालांकि शराब बंदी की राजनीति लंबे समय से हो रही है.  नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान शिवराज ने किया था ऐलान

7 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान नरसिंहपुर में मंच से इस बात का ऐलान किया था कि मध्य प्रदेश में चरणबद्ध शराबबंदी की जाएगी. नर्मदा के किनारे शराबबंदी को लेकर उन्होंने निर्देश भी जारी किए थे. हालांकि बीच में 15 महीने कमलनाथ सरकार ने भी मध्य प्रदेश में राज किया किन्त  शराबबंदी की असल शुरुआत डॉ मोहन यादव की कैबिनेट से मानी जा रही है. 

242 करोड़ का नुकसान होने की संभावना

मध्य प्रदेश सरकार को हर साल 16000 करोड रुपए से ज्यादा का राजस्व प्राप्त होता है. एक अनुमान के मुताबिक सरकार ने जो फैसला लिया है उसे सरकार को 242 करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना है.  हालांकि सरकार नई आबकारी नीति के तहत लाइसेंस की फीस बढ़ाने की संभावना भी जता रही है, जिससे सरकार का घाटा कम होने की बजाय बढ़ जाएगा.

 

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